भारत का संविधान

"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए------- न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ; स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की; समानता--स्थिति व अवसर की व इसको सबमें बढ़ाने की; बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ; सुरक्षित करने के उद्देश्य से आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"

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जिन्दगी क्या है......??

शुक्रवार, 14 नवंबर 2008



जिन्दगी बड़ी कीमती चीज़ है....हम इसको बचाएं कैसे.....हर महफ़िल में आना-जाना चाहते हैं लेकिन जाएँ कैसे...!!

जिन्दगी एक ख्वाब की तरह उड़नछू होती जा रही है...वक्त सरपट भागता......जा रहा....!!इस दौड़ में हम कहाँ हैं....इस दौड़ का मतलब क्या है....समझ से परे है...... उलझने....जद्दोजहद.....खुशी....उदासी..... तिकड़म...हार-जीत और भी ना जाने क्या-क्या....यह खेल- सा कैसा है और इसका मतलब क्या है....समझ से बाहर है...सब कुछ समझ से ही बाहर है तो फ़िर जिंदगी क्या है...और इसके मायने हमारे लिए क्या....ये भी समझ से बाहर ही है....फ़िर हम क्या करें....एकरसता को ही जीतें रहें??.....इसका भी क्या अर्थ ?...अर्थ...अर्थ...अर्थ ....क्या करें...करें...क्या करें ??
व्याकुलता घट तो नहीं जाती...अगर ऐसा ही होता तो व्यस्तता से सारे जज्बात काबू ना हो गए होते...??.....हम वक्त को थाम कर रखना...या वक्त को अपने मन-मुताबिक...मन-माफिक काम में लेना चाहते हैं....और यह भी सच है कि वक्त कभी किसी के भी मुताबिक ना चला है...और ना ही चलेगा...अलबत्ता जब कभी सब कुछ हमारे मन मुताबिक चलता है....हमें सब कुछ अपने काबू में लगता है....और ज्यूँही इसका उलट हुआ नहीं....सब गनदम-गोल....जिन्दगी आख़िर क्या है....क्यूँ है... कब तलक है...कहाँ तक है..ये सब क्या है...क्यूँ है...क्या है...क्यूँ है....क्या है...क्यूँ है....!!??
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2 टिप्‍पणियां:

Alpana Verma ने कहा…
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Alpana Verma ने कहा…

सच में ------------समझ से बाहर ही है!

 
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