भारत का संविधान

"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए------- न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ; स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की; समानता--स्थिति व अवसर की व इसको सबमें बढ़ाने की; बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ; सुरक्षित करने के उद्देश्य से आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"

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शुक्रवार, 3 अगस्त 2012

ये फुल-टू-फटाक मस्ती लेता हुआ वतन....!!

मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!

थोड़ा चिंतित हूँ और व्यथित हूँ,मगर मेरी जैसी मानसिक दशा वाले लाखों लोग इसी वतन में अपनी चिंताओं को इस तरह प्रकट कर रहे हैं,अगर आपको लगे कि यह वाजिब है तो हमें जगह दें ,हम आपके आभारी रहेंगे !!
ये फुल-टू-फटाक मस्ती लेता हुआ वतन....!!
              अन्ना-टीम के अनशन समाप्त होने के बाद शायद अब आगे अनशन जैसे कार्यक्रमों की संभावना कम ही दिखाई पड़ती है !,अनशन समाप्त करने की वजह प्रकट में चाहे जो भी बतायी जाए मगर अप्रकट में बहुत सारे रहस्य हैं,जिनका प्रकटीकरण अब शायद कभी नहीं हो,ऐसी संभावना भी बनती है,सबसे बड़ी बात तो यह है कि असंवेदनशील-दम्भी-हरामी और चाटुकारों से घिरे शासकों के सम्मुख बीन बजाने का फायदा भी क्या ?
               मगर यहीं पर आगे चीज़ों के उग्र रूप धारण कर लेने की संभावना भी बनती दिखाई पड़ती है !मोटी-सी बात यह है कि आज की परिस्थितियों में साधारण से साधारण चीज़ों के लिए भी,जनता को अपने निम्नतम हक़ के लिए भी सड़क पर आने को विवश होना पड़ता है तो शासकों की यह अंधेरगर्दी भला कब तक चल सकती है ?
               इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि टीम-अन्ना जैसी प्रतिभाशाली लोगों की टीम ने अब तक सिर्फ एक सवाल भ्रष्टाचार को लेकर ही यह आन्दोलन खडा किया है,जिससे शायद शहर की जनता के सिवा किसी को कोई सरोकार नहीं है,बल्कि इस आन्दोलन के चलते अन्य बहुत सारी जन-उन्मुखी समस्याएँ और देश के अन्य कुछ हिस्सों में अन्य कुछ लोगों द्वारा किये जा रहे बहुत से अत्यंत महत्वपूर्ण आन्दोलन भी हाशिये पर डाल दिए गए हैं !
               टीम-अन्ना को अब यह मंथन करना ही होगा कि अगर सच में वो एक राजनीति-दल होने की राह में है तो देश में बेशक भ्रष्टाचार सबसे बड़ी समस्या है मगर साथ ही अन्य बहुत सारे प्रश्न भी हैं और वो प्रश्न इतने ज्यादा अहम् हैं कि ये सारे प्रश्न एक साथ ही अपने हल किये जाने की मांग करते हैं,किसानों-मजदूरोंऔरतों-बच्चों और ऐसे ही आम लोगों से सम्बंधित ऐसे हज़ारों-हज़ार सवाल हैं जो अपने अति-शीघ्र हल किये जाने की तलाश में हैं .
               अब एक प्रश्न मीडिया का भी है,विदेशी पूँजी की चकाचौंध में डूबा इतराता और अपनी पीठ आप ही ठोकता यह मीडिया आज सबसे सिरफिरा दिखाई देता है,भले ही इस मीडिया ने सैंकड़ों पर्दाफ़ाश किये हों मगर सत्ता के साथ इसके गठजोड़ को कौन नहीं जानता है और इस सांठ-गाँठ से यह क्या-क्या हासिल करता है अगर सच में जनता इसे समझ-जान जाए तो आम जनता इसे भी किसी दिन ठोक डालेगी,समझने वाले लोगों ने तो दरअसल इसका विश्वास करना भी छोड़ दिया है क्योंकि अब वो जानते हैं कि बहुत सारे पर्दाफाशों के बाद बहुत सारी बंदरबांट हुआ करती है और इस बंदरबांट के पूर्ण होते ही वही मीडिया अपना मुहं ऐसा सीम लेता है जैसे इसने कभी मूंह खोला ही नहीं था !मगर अब यह रहस्य भी अब बहुत छिपा नहीं रह गया है !
               बीजिंग ओलिम्पिक के बाद इस ओलिम्पिक तक हम ना सिर्फ खेलों में बल्कि तमाम चीज़ों में चीन नामक एक पडोसी देश के उभार को देखते आ रहे हैं !कल तक भारत से भी फिसड्डी यह देश अगर आज विश्व का सिरमौर बनने जा रहा है,बल्कि तकरीबन बन ही चुका है तो इसके पीछे ऐसा क्या है,ऐसी कौन-सी बात है जिसने सवा-डेढ़ अरब लोगों का बोझ ढ़ोते एक भूमि को सबसे आगे ला खडा कर दिया है !!और मज़ा यह है कि इसके पीछे कोई रहस्य नहीं है दोस्तों बल्कि सिर्फ एक वजह है मेहनत-मेहनत और मेहनत !!सिर्फ कार्यकुशल कर्मठता ही बेहतर परिणाम दे सकती है मगर इसके ठीक उलट हम क्या हैं काहिल-नकारा....मेहनत से जी भरकर जी चुराने वाले,सिर्फ सपने देखने और ज़रा-ज़रा सी सफलता पर फूल कर कुप्पा हो जाने वाले एक बेवजह की भीड़.....धरती पर एक बेवजह का बोझ....ज़रा अपने इस फालतुपने पर क्षण भर के लिए ही सही,मगर विचार करें हम एकाध करोड़ मीडिया से जुड़े हुए और विचारों में खुद को बड़े तीसमार खाँ समझते हुए लोग !!
                  फिलहाल टी.वी-इंटरनेट-मोबाइल-आईपॉड और अन्य एप्स के चटखारे लेता हुआ कुछ करोड़ मध्यवर्गियों का यह वतन फुल-टू-फटाक मस्ती की नींद सो रहा है,बिना यह जाने और समझे हुए कि बाकी के अरबों लोगों के साथ दरअसल क्या हो रहा है !जिस किसी भी दिन यह जागेगा और और उन अरबों प्रताड़ित लोगों के दुःख-दर्द से खुद को जोड़ेगा तभी कोई सच्ची और संभावना नज़र आती है और एक बात बता दूं अभी तो यह नज़र ही नहीं आ रही !इसलिए आन्दोलनों की परिणिति ऐसी हुई जा रही है !!
                बिना किसी दिशा के कुछ भी करना एक बहुत बड़ा पागलपन है और यह बेतुका पागलपन सबसे पहले तो यहाँ सत्ता करती है,और उससे भी बड़ा उसका विरोध करने वाले जबकि सबका स्वार्थ महज एक है कि शाम-दाम-दंड-भेद किसी भी प्रकार से अपना घर भरना !!और जब जनता को बार-बार "........"बनाकर सिर्फ सरकार बदलना भर आपका मकसद हो तो जनता आखिर कब तक खुद को ठगा जाता महसूस करके भी आपका साथ देगी....मज़ा तो यह है कि सौ अरब लोगों को तो यह तक मालूम नहीं है कि विभिन्न सरकारों द्वारा उनके लिए तरह-तरह की योजनायें लागू हैं और वो पूरी-की-पूरी या कुछ या बहुत सारे अंशों में कुछेक हजार लोगों द्वारा हाइजैक कर ली जा रहीं हैं इसमें सत्ता-दलाल-स्वयंसेवी संगठन-मीडिया और कुछ महत्वपूर्ण लोग पूरी तरह से लिप्त हैं और मैं यह सोच कर चिंतित हूँ कि जब जनता को इस भयानक "घोटाले"(इसके अर्थ को पाठक कई गुणा कर लें !!)का पता चलेगा तब वह इस सबमें लिप्त इन सब लोगों का क्या हश्र करेगी !!??

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सोचता तो हूँ कि एकांगी सोच ना हो मेरी,किन्तु संभव है आपको पसंद ना भी आये मेरी सोच/मेरी बात,यदि ऐसा हो तो पहले क्षमा...आशा है कि आप ऐसा करोगे !!

i-next men mera aalekh

मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
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