भारत का संविधान

"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए------- न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ; स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की; समानता--स्थिति व अवसर की व इसको सबमें बढ़ाने की; बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ; सुरक्षित करने के उद्देश्य से आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"

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रविवार, 24 अप्रैल 2011

एक ब्लॉग से लौट कर बिना किसी क्षमायाचना के......!!

एक ब्लॉग से लौट कर बिना किसी क्षमायाचना के......
प्रश्न :मुस्लिम ब्लोगर यह बताएं क्या यह पोस्ट हिन्दुओ के भावनाओ पर कुठाराघात नहीं करती.
सन्दर्भ :http://blostnews.blogspot.com/
                  हरीश जी,हालांकि इस विषय के विरुद्द कुछ लिखने का मन तो नहीं होता,किन्तु माननीय अनवर जी (और कतिपय अन्य लोगों के भी)के सामान्य ज्ञान हेतु कुछ बताने से खुद को मैं रोक नहीं पा रहा हूँ कि लिंग और योनि पूजन सिर्फ वर्तमान भारतीय धर्म के अंश नहीं है अपितु यह ना जाने कब से धरती के हर हिस्से में हर काल में पाया जाता है,भारत,मिस्र,करीत,बेबिलोनिया,फिनिशिया,ग्रीस,अखिदिया,क्रीट एवं यूरोप सभी स्थानों पर सभी काल में यह प्रवृति व्याप्त रही है,और यहाँ तक के विश्व के समस्त देवालयों में अन्तरंग यौन-कर्म से सम्बंधित मूर्तियाँ आदि पायी जाती हैं,और यह अकारण भी नहीं है !
              सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है हरीश जी,कि आज जिस काम को हम पाप की दृष्टि से देखते हैं(मजा यह कि दिन-रात इसी के पीछे भागते भी रहते हैं...हा..हा...हा...हा..हा..हर किसी को हम इस पाप-कर्म से दूर रहने की शिक्षा देते रहते हैं,और खुद.....!!और मजा यह कि हम सबके साथ ही लागू है!!)तो किसी जमाने में यही "काम" अत्यंत पवित्र कार्य हुआ करता था

बुधवार, 6 अप्रैल 2011

घुटने में बुद्धि किसी की नहीं होती प्यारे !!


घुटने में बुद्धि किसी की नहीं होती प्यारे !!

ज़माना बेशक आज बहुत आगे बढ़ चूका होओ,मगर स्त्रियों के बारे में पुरुषों के द्वारा कुछ जुमले आज भी बेहद प्रचलित हैं,जिनमें से एक है स्त्रियों की बुद्धि उसके घुटने में होना...क्या तुम्हारी बुद्धि घुटने में है ऐसी बातें आज भी हम आये दिन,बल्कि रोज ही सुनते हैं....और स्त्रियाँ भी इसे सुनती हुई ऐसी "जुमला-प्रूफ"हो गयीं हैं कि उन्हें जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता इस जुमले से...मगर जैसा कि मैं रो देखता हूँ कि स्त्री की सुन्दरता मात्र देखकर उसकी संगत चाहने वाले,उससे प्रेम करने वाले,छोटी-छोटी बच्चियों से मात्र सुन्दरता के आधार पर ब्याह रचाने वाले पुरुषों...और ख़ास कर सुन्दर स्त्रियों, बच्चियों को दूर-दूर तक भी जाते हुए घूर-घूर कर देखने की सभी उम्र-वर्गों की जन्मजात प्रवृति को देखते हुए यह पड़ता है कि स्रियों की बुद्धि भले घुटने में ही सही मगर कम-से-कम है तो सही....तुममे वो भी है,इसमें संदेह ही होता है कभी-कभी....स्त्रियों को महज सुन्दरता के मापदंड पर मापने वाले पुरुष ने स्त्री को बाबा-आदम जमाने से जैसे सिर्फ उपभोग की वस्तु बना कर धर रखा है और आज के समय में तो विज्ञापनों की वस्तु भी....तो दोस्तों नियम भी यही है कि आप जिस चीज़ को उसके जिस रूप में इस्तेमाल करोगे,वह उसी रूप में ढल जायेगी....समूचा पारिस्थितिक-तंत्र इसी बुनियाद पर टिका हुआ है,कि जिसने जो काम करना है उसकी शारीरिक और मानसिक बुनावट उसी अनुसार ढल जाती है...अगर स्त्री भी उसी अनुसार ढली हुई है तो इसमें कौन सी अजूबा बात हो गयी !! 
शनिवार, 2 अप्रैल 2011

जय भारत....जय हिन्दुस्तान....

जय भारत....जय हिन्दुस्तान....
ये जीत भारत के जज्बे की है...अनुशासन की है....और टीम भावना की है.....
इस जीत का सबक यह है कि अगर भारत अन्य क्षेत्रों में भी यही टीम भावना-अनुशासन और जज्बे से काम करे तो वह हर क्षेत्र में दुनिया का सिरमौर बन सकता है....
भारत के लोगों को चाहिए कि वो देखें कि किस तरह देश के एक होना चाहिए और अपने स्वार्थ त्याग कर भारत के हित में कार्य करना चाहिए....

हुर्रा.....जीत गए.....वन्दे मातरम्.....भारत जिंदाबाद.......!!!

हुर्रा.....जीत गए.....वन्दे मातरम्.....भारत जिंदाबाद.......!!!

झूठ,झूठ,झूठ,मुंबई सचिन की कर्मभूमि नहीं है !!

झूठ,झूठ,झूठ,मुंबई सचिन की कर्मभूमि नहीं है !!
भारत इस विश्वकप के फाईनल में क्या पहुंचा है,कि भारत की जीत की उम्मीदों के साथ सचिन के सर पर भी भारत के तमाम लोगों की उम्मीदों का बोझ आन पडा है और यह भी कि सचिन मुंबई के वानखेड़े में अपने शतकों का शतक पूरा करेंगे और यह भी कि मुंबई जो सचिन की कर्मभूमि है !!मुंबई सचिन की जन्मस्थली है,इस बात से तो अपन को कोई एतराज नहीं है मगर मुंबई सचिन की कर्मभूमि है,इस बात से अपन इत्तेफाक नहीं रखते....और जिन तमाम क्रिकेट-प्रेमियों ने सचिन के अक्खा क्रिकेट कैरियर को देखा है,जाना है,परखा है और आत्मसात किया है,अपन को यह यकीन है कि उनको भी अपन की बात पर ही इत्तेफाक होगा....!!
 
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