भारत का संविधान

"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए------- न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ; स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की; समानता--स्थिति व अवसर की व इसको सबमें बढ़ाने की; बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ; सुरक्षित करने के उद्देश्य से आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"

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झूठ,झूठ,झूठ,मुंबई सचिन की कर्मभूमि नहीं है !!

शनिवार, 2 अप्रैल 2011

झूठ,झूठ,झूठ,मुंबई सचिन की कर्मभूमि नहीं है !!
भारत इस विश्वकप के फाईनल में क्या पहुंचा है,कि भारत की जीत की उम्मीदों के साथ सचिन के सर पर भी भारत के तमाम लोगों की उम्मीदों का बोझ आन पडा है और यह भी कि सचिन मुंबई के वानखेड़े में अपने शतकों का शतक पूरा करेंगे और यह भी कि मुंबई जो सचिन की कर्मभूमि है !!मुंबई सचिन की जन्मस्थली है,इस बात से तो अपन को कोई एतराज नहीं है मगर मुंबई सचिन की कर्मभूमि है,इस बात से अपन इत्तेफाक नहीं रखते....और जिन तमाम क्रिकेट-प्रेमियों ने सचिन के अक्खा क्रिकेट कैरियर को देखा है,जाना है,परखा है और आत्मसात किया है,अपन को यह यकीन है कि उनको भी अपन की बात पर ही इत्तेफाक होगा....!!

                जब किसी बहुत बड़े व्यक्ति के इतिहास को देखा जाता है,तब यही देखा जाता है कि उसने अपने समूचे जीवन में किस चीज़ को जीया है,किन चीज़ों से लड़ा है,किनके लिए लड़ा है,उन कामों की महत्ता क्या है,उनका कुल परिणाम क्या है और सबसे महत्वपूर्ण बात कि उसके द्वारा किये गए कार्यों का फलक या आयाम क्या है और हमने इतिहास से ये ही जाना है कि उस व्यक्ति ने अपने आस-पास अपितु दूर-दूर तक अपने कार्यों का डंका बजाया है...और उन कार्यों और उसके परिणामों का कुल परिणाम भी दूर-दिगंत तक फैला है और तत्पश्चात सबसे महत्वपूर्ण तो यह कि उस व्यक्ति के बारे में अब जनमानस में तरह-तरह की किवदंतियां भी घर करने लगी हैं, और इसी एक बात से उस व्यक्ति की कर्मभूमि की स्थानीयता की बातें भ्रम लगने लगती हैं,क्यूंकि वो व्यक्ति दूर-दूर तक जन-जन को प्यारा हो जाता है !!
                 सचिन ने बेशक अपनी किरकिटिया पारी की शुरुआत मुंबई या कि वानखेड़े से की होगी,मगर भाइयों वो तो सिर्फ ही हुई होगी ना....उसके बाद तो उन्होंने अपना परचम दुनिया के किस मैदान पर नहीं फहराया है......दुनिया की धरती का ऐसा कौन सा मैदान है,जहां सचिन खेले हों और और वहां की पिच की मिटटी ने सचिन के बल्ले से होकर सचिन के मुख को ना चूम लेना चाहा हो....दुनिया का वो कौन सा गेंदबाज है जो सचिन के बल्ले की क्रूर मार खाने और उनसे सहमने और उनके बारे में सपने भी क्रूर मार खाने की सोचने के बावजूद उन्हें प्यार ना करता हो....दुनिया का ऐसा कौन सा बल्लेबाज है(गावस्कर के अलावा)जो मैदान पर अपने आउट होने को महसूसते ही अम्पायर की ऊँगली आऊट होने के इशारे में उठने के पहले मैदान से बाहर हो जाता होओ....!!
               महानता का कोई मंत्र नहीं होता,वह तो बहुत बहुत छोटे-छोटे डग भरते हुए आती है....मगर उन छोटे-छोटे डगों में एक निरंतरता होती है,एक सरलता होती है,एक कोई एक ख़ास बात होती है,जो शायद हममें-आपमें नहीं होती,वह ना महसूस कर सकने लायक एक ऐसी चीज़ होती है,जिसे हम-आप सब महसूस करते हैं और और उस खुशबू से खुद को आविष्ट होता हुआ पाते हैं...महान लोगों की विनम्रता और सरलता ही उनकी सबसे बड़ी महानता होती है,जिसके कारण हम उनसे दूर होते हुए भी खुद को उनसे जुदा हुआ ही महसूस करते हैं...!!
                सचिन ने आज तक जो निन्न्यांबे सैंकडें जड़े हैं वो दुनिया के क्रिकेट के हर मैदान पर अपने समकालीन हर गेंदबाज के विरूद्द हर बल्लेबाज के सम्मुख एक मिसाल है...और यह मिसाल उनकी रनों की भूख ,एकाग्रता या कर्मठता, इन सबसे बढ़कर उनके जज्बे और उनकी सरलता की मिसाल है,आप उनसे बातें करो या उनकी बातें सुनो,तब लगता है कि अरे ये तो एकदम मेरेइच जैसा है,अक्खा आम इंसान....यह बात सचिन को दूसरों से बिलकुल विलग करती है...!!
                 मगर हमारा आज का विषय इस बारे में है कि जैसा कि लोग बाग़ और यह बुद्धू मीडिया भी मुम्बई को सचिन की कर्मभूमि माने बैठा है और बड़े ही शोर-शराबे के साथ इसे प्रचारित भी किये जा रहा है उनको आज मेरा यह कहना है कि पहले बाकी के सारे विश्व से तो पूछ लो इस बारे में उसकी क्या राय है...और मुम्बई ही सचिन की कर्मभूमि है तो कोई यह बताये कि अपने कर्म क्षेत्र में मुंबई में कितना काम किया है सचिन ने और बाकी की जगहों पर कितना...अगर मुंबई में सचिन ने अपने कुल कर्म का आधा भी किया हो तो अपन मीडिया को समझदार मान लेंगे....मगर अगर ऐसा नहीं है तो फिर मीडिया को अपने इस दुष्प्रचार के लिए भारत की आम जनता से और विश्व के तमाम-क्रिकेट प्रेमियों से माफ़ी मांगनी चाहिए....!!
                   अरे भाई,सचिन तो अक्खा इंडिया के हैं....अक्खी दुनिया हैं...कौन क्रिकेट प्रेमी ऐसा है जो उन्हें चूम लेना नहीं चाहता....कौन-सा ऐसा देश है जो उनसे प्रेम नहीं करता और उन्हें अपनी टीम में शामिल नहीं करना चाहता...और कौन सा ऐसा किरकेटिया मैदान है जिसने सचिन के चौक्कों-छक्कों और सिंगलों की बरसात की आभा ना देखी हो और आगे भी ना देखना चाहता हो....ऐ भाई सचिन इस फाईनल में हम एक अरब बीस करोड़ लोगों का ही नहीं बल्कि विश्व के सनुचे क्रिकेट-प्रेमियों का मान रख दे ना यार....देख ना कैसा टुकुर-टुकुर टाक रहे हैं ये तेरे को....अरे भाई अफरीदी तक भी यही चाहता है...यार सचिन तू सबका है है और सारा भारत ही नहीं सारा संसार ही तेरी कर्मभूमि है.....और आज के दिन तो भगवान् के दर्शनों से ज्यादा ललक तेरे शतक को देखने की है सबकी....तू उनको उनका भगवान् दिखा दे....ओ सचिन इस फाईनल में इक आखिरी ही सही शतक लगा दे.....भारत को जीता दे....देख यार तूने भारत के लिए अब तक बहुत कुछ किया है.....कर दे यार....तू ऐसा कर दे यार....देख तेरे लिए अभी से मेरी आँखें नम हो आयीं हैं...तू शतक बनाएगा तब क्या होगा,पता नहीं....तू अगर सारे संसार का है तो ये कर दे यार और बता दे कि तू मुंबई का होकर भी सिर्फ मुम्बईकर नहीं है मेरे यार....तू सारे संसार का प्यारा मेरे प्यार....!!!!


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