एक बार फिर चारों तरफ बरसात का आलम है.....कुछ लोगों के लिए बेशक यह रोमांचक शमां हो सकता है,किन्तु झारखंड नाम के एक राज्य में यह मौसम इस वक्त एक लोमहर्षक-दर्दनाक-विकराल और दिल को दहला देने वाला दृश्य पैदा कर रहा है....!!कारण पिछले कुछ समय से माननीय हाई-कोर्ट के आदेश से चल रहा अतिक्रमण हटाओ अभियान है....इस गर्मी के मौसम में कड़ी धूप में गरीब-कमजोर-मासूम लोगो को उस सरकारी जमीन से जबरन हटाया जा रहा है,जिसे हर किसी ने कभी अपनी कड़ी मेहनत और दुर्दमनीय संघर्ष से खरीद कर हासिल किया था और तो और,वो तो ये भी नहीं जानते थे कि जिस जमीन को वो सरकारी कारिंदों से सरकारी रेटों पर वाजिब तरह से खरीद कर उस पर अपना आशियाना बना रहें हैं,उस जमीन को बेचने का कोई हक़ उन सरकारी लोगों को नहीं था,और अब जब ये मासूम और गरीब लोग कोर्ट के आदेश से ना सिर्फ सड़क पर आ चुके हैं,बल्कि उस स्लम से इन तरह-तरह के राहत शिविरों में इस बरसात में नालियों-नालों और दूर-दूर से बह कर आती तरह-तरह की गन्दगी में किस तरह की यातना के बीच नरक से भी बदतर जिन्दगी जी रहें हैं,उसे बताया नहीं जा सकता,उसे देखकर ही जाना जा सकता है और अगर किसी के पास संवेदनशील ह्रदय ना भी हो तो भी वो पसीजे बिना नहीं रह सकता और इस वाक्य के आलोक में एक बड़ा ही कठिन और मार्मिक प्रश्न पैदा होता है कि जिन स्थितियों को देख कर हर प्रकार का मनुष्य दहल जाता है,ठीक उन्हीं स्थितियों को देखकर नेता,वकील-जज और पुलिस नाम के मनुष्य देह-धारियों के जेहन में क्यों कुछ नहीं होता...!!??
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शुक्रवार, 17 जून 2011
खुदा करे कि वो इन जैसे लोगों को कभी माफ़ ना करे....!!
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