भारत का संविधान

"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए------- न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ; स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की; समानता--स्थिति व अवसर की व इसको सबमें बढ़ाने की; बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ; सुरक्षित करने के उद्देश्य से आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"

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एक पुलक.......एक हँसी......!!

बुधवार, 5 नवंबर 2008





 पुलक...और एक हँसी,कि जैसे हो ..... यही जिन्दगी !!
आँखों में जल लिए बैठा हूँ, मुझसे...रूठी..है..मेरी तिश्नगी !!
होठों पे हैं लफ्ज प्यार के ,दिल्लगी...दिल्लगी...दिल्लगी...!!
फूल बटोर कर ले आया हूँ मैं,आती नहीं मगर मुझे बंदगी !!
जो भी होता है वो होता रहेगा,कर भी क्या लेगी यह जिंदगी !!
आसमान जैसे है इक दीवाली, और तारो-ग्रहों की है फुलझडी !!
इतना सपाट तुम रहते हो क्यूँ,लगते हो मुझको इक अजनबी !!
ये लो तुम अपनी प्रीत संभालो, जाओ जी अजी तुम जाओ जी !!
तारीकी -सी फैली हुई है क्यूँ , जाकर थोड़ी -सी लाओ रौशनी !!
अंधेरे में कुछ जुगनू चमके,आज शब् भी इनसे अब..... खेलेगी !!
ख़ुद में उलझा हुआ है "गाफिल",रूह इसकी अपने लैब खोलेगी !!
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