भारत का संविधान

"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए------- न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ; स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की; समानता--स्थिति व अवसर की व इसको सबमें बढ़ाने की; बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ; सुरक्षित करने के उद्देश्य से आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"

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हम क्या करे गाफिल....??!!

शुक्रवार, 28 नवंबर 2008


वहाँ कौन है तेरा...मुसाफिर....
जायेगा कहाँ.....
दम ले ले.....
दम ले...दम ले ले...
दम ले ले घडी भर...
ये समा पायेगा कहाँ...
पिघलता सा जा रहा है हर ओर
किसी बदलती हुई-सी शै की तरह.....
किसका कौन-सा मुकाम है...
किसी को कुछ
पता भी तो नहीं....
कभी रास्ते खो जाते हैं...
और कभी तो...
मुकाम ही बदल जाते हैं....
बदलता ही जा रहा है सब कुछ....
वजह या बेवजह...
किसी को कुछ भी नहीं पता
और जो कुछ पता है हमें...
वो कितना सोद्देश्य है...
या कितना निरक्षेप....
और कितना निस्वार्थ...
ये भी भला कौन जानता है.....
मगर जो कुछ भी
घट रहा है हमारे आसपास
वो इतना कमज़र्फ़ है....
और इतना तंगदिल...
इतना तंग नज़र है....
और इतना आत्ममुग्ध...
किसी को वह...
जीने ही नहीं देना चाहता...
सिवाय अपने ...
या अपने कुछ लोगों के....!!
तो क्या एक झंडे....
एक धरम....
एक बोली में...
सिमट जाना चाहिए
हम सबको
हम सातों अरब को....??
यही आज मै सोच रहा हूँ......!!
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