भारत का संविधान

"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए------- न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ; स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की; समानता--स्थिति व अवसर की व इसको सबमें बढ़ाने की; बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ; सुरक्षित करने के उद्देश्य से आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"

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जीवन कि मंजिल का पता कैसे पायें !!

मंगलवार, 4 नवंबर 2008

जीवन की मंजिल का पता हम कैसे पायें ,
इस मंजिल के पीछे जान निकल न जाए !!
आपस में भागा-दौडी,कितनी भागा-भागी,
डरते हैं कि हम रब को कहीं भूल न जाएँ !!
करता हूँ सबसे मुहब्बत,ये है सच्चा सौदा ,
मुहब्बत ही तो रब है,रब से क्या शर्मायें !!
भूखे हैं पेट जिनके,जो रहते हैं बे ठिकाने ,
सोचूं हूँ तो अक्सर ये आँखे हैं भर आयें !!
सोना-जागना-खाना-खेलना-बतियाना ,
जीवन गर यही है,जीवन से बाज आयें !!
जीने की खातिर करनी पड़े अगर बेईमानी ,
इससे तो बेहतर है कि आदम ही मर जाए !!
आदम के बारे में सोचूं,आदम की बातें करूँ,
जाना कहाँ आदम को,आदम जान ना पाए !!
जीवन की खातिर हैं हम,क्या है जीवन हमारा,
उम्र इक घुन है"ग़ाफ़िल",उम्र भर खाती जाए !!
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1 टिप्पणी:

seema ने कहा…

pata poocho mat ,
kisi ko pata na hoga

 
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