भारत का संविधान

"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए------- न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ; स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की; समानता--स्थिति व अवसर की व इसको सबमें बढ़ाने की; बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ; सुरक्षित करने के उद्देश्य से आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"

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प्यारे दोस्तों.................

बुधवार, 7 जनवरी 2009

नीचे की तीनों पोस्टें आज की मेरी व्यथा हैं....सिर्फ़ मेरी कलम से निकलीं भर हैं....वरना हैं तो हम सब की ही.....जी करता है खूब रोएँ.....मगर जी चाहता है....सब कुछ को....इस जकड़न को तोड़ ही देन.....मगर जी तो जी है....इसका क्या...........दिल चाहता है.....................!!
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3 टिप्‍पणियां:

Himanshu Pandey ने कहा…

नीचे की कौन सी तीन पोस्टें- मैं देख नहीं पा रहा हूं. परेशानी कोई अगर हो तो देख लें, या फ़िर मेरे ब्राउजर की कठिनाई?

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
seema gupta ने कहा…

लो हमको रुलाई आ गई.....क्या तुम भी गीले हो गए.....??
जिस रस्ते हम चल रहे थे....आज वो पथरीले हो गए....!!
कितना गुमसुम बैठा है.....बस दिल में इक है याद तिरी....!!
बस इत उत ही तकती है.....आँख बनी हैं जोगन मिरी....!!
" ओह ओह ये भूतनाथ जी की उदासी और गम का सबब कुछ समझ जैसा नही आया , पर हाँ ये ग़ज़ल जैसा कुछ कुछ जरुर समझ आया ..."

regards

 
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