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प्यारे दोस्तों.................
बुधवार, 7 जनवरी 2009
नीचे की तीनों पोस्टें आज की मेरी व्यथा हैं....सिर्फ़ मेरी कलम से निकलीं भर हैं....वरना हैं तो हम सब की ही.....जी करता है खूब रोएँ.....मगर जी चाहता है....सब कुछ को....इस जकड़न को तोड़ ही देन.....मगर जी तो जी है....इसका क्या...........दिल चाहता है.....................!!
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3 टिप्पणियां:
नीचे की कौन सी तीन पोस्टें- मैं देख नहीं पा रहा हूं. परेशानी कोई अगर हो तो देख लें, या फ़िर मेरे ब्राउजर की कठिनाई?
लो हमको रुलाई आ गई.....क्या तुम भी गीले हो गए.....??
जिस रस्ते हम चल रहे थे....आज वो पथरीले हो गए....!!
कितना गुमसुम बैठा है.....बस दिल में इक है याद तिरी....!!
बस इत उत ही तकती है.....आँख बनी हैं जोगन मिरी....!!
" ओह ओह ये भूतनाथ जी की उदासी और गम का सबब कुछ समझ जैसा नही आया , पर हाँ ये ग़ज़ल जैसा कुछ कुछ जरुर समझ आया ..."
regards
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