भारत का संविधान

"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए------- न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ; स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की; समानता--स्थिति व अवसर की व इसको सबमें बढ़ाने की; बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ; सुरक्षित करने के उद्देश्य से आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"

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मियाँ "गाफिल" के शेर.........!!

सोमवार, 19 जनवरी 2009


दिल मुहब्बत से लबरेज़ हो गया था

मिरे साथ वाकया क्या हुआ,पता नहीं !!


अब और चलने से क्या होगा ऐ "गाफिल"

हम तो सफर में ही अपने मुकाम रखते हैं...!!


अपनी हसरतों का क्या करूँ मैं "गाफिल"

इक साँस भी मिरी मर्ज़ी से नहीं आती.....!!


इस तरह कटे दुःख के दिन

दर्द आते रहे,हम गिनते रहे....!!


बच्चे जब किताब थामते हैं...

उदास हो जाया करते हैं खेल....!!


वो मेरी रहनुमाई में लगा हुआ था

और मेरा कहीं अता-पता ही न था !!


कितने नेकबख्त इंसान हो तुम गाफिल हाय हाय

किसी को दिया हुआ दिल भी उससे लौटा लाये....??


राह में जिसकी हमने नज़रें बिछायी थी क्या

अभी जो हमें छोड़कर गई,मिरी तन्हाई थी क्या....??

बारहां हम गए थे उसे यूँ भूलकर

बारहाँ उसको हमारी याद आई थी क्या...??


हिचकियाँ इतनी गहरी आती हैं क्यूँ

लगता है जैसे हमें अल्ला याद करता है....!!

उससे इतना प्यार हमें है "गाफिल "

हमसे आने की फरियाद करता है.....!!


इक तमाशा अपने इर्द-गिर्द बना लिया है

हमने खुदा को अपना शागिर्द बना लिया है...!!
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5 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

अच्छा लगा पढ़कर.

seema gupta ने कहा…

बच्चे जब किताब थामते हैं...

उदास हो जाया करते हैं खेल....!!

सच कहा किताबे खेल को उदास कर देते है....

Regards

Unknown ने कहा…

bahut acche...

दिगम्बर नासवा ने कहा…

खूबसूरत शेर भूतनाथ जी
सब के सब कुछ न कुछ बोल रहे हैं

BrijmohanShrivastava ने कहा…

प्रिय भूतनाथ जी /भलेही आपने नाम तब्दील कर लिया है मगर अपुन के दिमाग में जो नाम एक बार जम गया सो जम गया /पहली बात तो ये कि गजल में शेर ज़्यादा हो गए /दूसरी बात यह कि गजल के प्रत्येक शेर में वजन है ,मधुरता है ,सुन्दरता है ,एक उच्च कोटि की भावाभिव्यक्ति है /आपकी इस इस रचना को मैं बेशक कह सकता हूँ ""रचना का ऐसा भव्य भवन जिसमें शब्द रूपी अनमोल रत्न जड़े हैं ""

 
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