कभी धुप चिलचिलाये
कभी शाम गीत गाये....!!
जिसे अनसुना करूँ मैं
वही कान में समाये.....!!
उसमें है वो नजाकत
कितना वो खिलखिलाए !!
सरेआम ये कह रहा हूँ
मुझे कुछ नहीं है आए...!!
चाँद भी है अपनी जगह
तारे भी तो टिमटिमाये...!!
जिसे जाना मुझसे आगे
मुझपे वो चढ़ के जाए...!!
रहना नहीं है "गाफिल"
इतना भी जुड़ ना जाए...!!
12 टिप्पणियां:
बहुत सही!!
रास्ता मत रोको जी साइड दो !
bahot khub likha hai aapne....
Wah..wa bandhuwar wah..
चाँद भी है अपनी जगह
तारे भी तो टिमटिमाये...!!
जिसे जाना मुझसे आगे
मुझपे वो चढ़ के जाए...!!
रहना नहीं है "गाफिल"
इतना भी जुड़ ना जाए...!!
" सच है एक बार जुड़ने के बाद टूटना मुश्किल होता है फ़िर जीवन तो आना जाना है..."
Regards
वाह भाई वाह अच्छा लिखा है आपने बहुत खूब बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकारें
सरेआम ये कह रहा हूँ
मुझे कुछ नहीं है आए...!!
चाँद भी है अपनी जगह
तारे भी तो टिमटिमाये...!!
Achhi line
अच्छी लगी आपकी यह रचना
bahut sundar....
जिसे अनसुना करूँ मैं
वही कान में समाये.....!!
good, very well....sahi likhaa
बहुत अच्छा भाई भूत नाथ ( नहीं भाई चोपड़ा जी)
वाह।
Respected sir,
Bahut..bahut achchha geet hai.badhai.
एक टिप्पणी भेजें