भारत का संविधान

"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए------- न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ; स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की; समानता--स्थिति व अवसर की व इसको सबमें बढ़ाने की; बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ; सुरक्षित करने के उद्देश्य से आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"

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मुश्किलें......!!

रविवार, 18 जनवरी 2009


मुश्किलें उनके साथ जीने में हैं...

जिनके हाथ इतने मजबूत हैं कि

तोड़ सकते हैं जो किसी भी गर्दन....!!

मुश्किलें उनके साथ जीने में हैं...

जो कर रहे हैं हर वक्त-

किसी ना किसी का.....

या सबका ही जीना हराम....!!

मुश्किलें उनके साथ जीने में हैं...

जिनके लिए जीवन एक खेल है...

किसी को मार डालना ......

उनके खेल का इक अटूट हिस्सा !!

मुश्किलें उनके साथ जीने में हैं...

जो देश को कुछ भी नहीं समझते...

और देश का संविधान....

उनके पैरों की जूतियाँ....!!

मुश्किलें उनके साथ जीने में हैं...

जो सब कुछ इस तरह गड़प कर रहे हैं...

जैसे सब कुछ उनके बाप का हो.....

और भारतमाता !!........

जैसे उनकी इक रखैल.....!!

मुश्किलें उनके साथ जीने में हैं...

जिनको बना दिया गया है...

इतना ज्यादा ताकतवर.....

कि वो उड़ा रहे हैं हर वक्त.....

आम आदमी की धज्जियाँ.....

और क़ानून का सरेआम मखौल.....!!

...........दरअसल ये मुश्किलें......

हम सबके ही साथ हैं.....

मगर मुश्किल यह है....

कि..............

हमें जिनके साथ जीने में.....

अत्यन्त मुश्किलें हैं.....

उनको.........

कोई मुश्किल ही नहीं......!!??

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6 टिप्‍पणियां:

अनिल कान्त ने कहा…

अत्यन्त रोचक और सही बात कही आपने ....

संगीता पुरी ने कहा…

मगर मुश्किल यह है....


कि..............


हमें जिनके साथ जीने में.....


अत्यन्त मुश्किलें हैं.....


उनको.........


कोई मुश्किल ही नहीं......!!??
क्‍या बात कही है।

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत सही!!

ghughutibasuti ने कहा…

उनसे पूछकर तो देखिए!
घुघूती बासूती

बेनामी ने कहा…

इतनी मुश्किलों से जिन्हें चुनाव में जितवा कर भेजते हैं उन्हें भी कहाँ इन मुश्किलों की सुध॥ उन्हतो बस अपनी मुश्किलें नज़र आती हैं जिनके लिए कामांडोस लेकर घुमते हैं

seema gupta ने कहा…

"मुश्किलों का तो कोई अंत ही नही ..."

Regards

 
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