लोहडी़ की शुभकामनाएँ॥
सुंदर मुंदरिए....हो
तेरा कौण विचारा...हो
दुल्ला भट्टी वाला...हो
दुल्ले दी धी विआही...हो
सेर शक्कर पाई....हो
कुडी़ दे बोझा पाई...हो
कुडी़ दा लाल पटका ...हो
कुडी़ दा सालू पाटा ....हो
सालू कोण समेटे...हो
चाचा चूरी कुट्टे....हो
गिन-गिन पोले लाए....हो
इक पोला रह गया,
सिपाही फड़ के लै गिया
सानूं दे लोहडी़..........
तेरी जीवे जोडी़........
[हिन्दी मिलाप से साभार]
उम्र कितनी तेजी से ढल रही है.....!!
कौन सी आग मिरे दिल में जल रही है
ये कैसी तमन्ना बार-बार मचल रही है !!
ये कैसी मिरे रब की मसीहाई है हाय-हाय
धुप सर पे और पा पे छाया चल रही है !!
आ-आके कानों में जाने क्या-क्या कहती है
ये कौन-सी शै मिरे साथ-साथ चल रही है !!
कभी थीं खुशियाँ और आज कितने गम हैं
जिंदगी पल-पल कितने रंग बदल रही है !!
इस जिंदगी को क्या तो मैं मायने दूँ उफ़
उम्र कितनी तेजी से "गाफिल" ढल रही है !!
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शुभकामनाएं....आप सबको....!!
मंगलवार, 13 जनवरी 2009
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8 टिप्पणियां:
आप और आपके परिवार के लिये आनेवाला समय शुभ, मंगलमय और स्मृद्धिदायक हो।
आपको भी लोहडी़ की शुभकामनाएँ॥
चन्द्रमौलेश्वर जी द्वारा प्रेषित व टाईप किए इस लोकगीत का आपने अच्छा उपयोग कर लिया।
उन्हें व अपने हिन्दी-भारत समूह को आपकी ओर से धन्यवाद मैं दे देती हूँ।
लोकगीतों की प्रस्तुति मन को भा गई. आपको भी लोहडी़ की शुभकामनाएँ.
आपको भी लोहडी़ की शुभकामनाएँ॥
regards
आपकी रचनाधर्मिता का कायल हूँ. कभी हमारे सामूहिक प्रयास 'युवा' को भी देखें और अपनी प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करें !!
आप और आपके परिवार को भी मकर-संक्राति-पर्व की हार्दिक शुभकामना और बधाई ........
बहुत ही बढ़िया... वक़्त कब बीत जाता है पता ही नहीं चलता... लेकिन जब बीत रहा होता है तब बरसों के बराबर लगता है...
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