भारत का संविधान

"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए------- न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ; स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की; समानता--स्थिति व अवसर की व इसको सबमें बढ़ाने की; बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ; सुरक्षित करने के उद्देश्य से आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"

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हाय गाफिल हम क्या करें.....??

गुरुवार, 8 जनवरी 2009

भीड़ में तनहा...दिल बिचारा नन्हा...
साँस भी न ले सके,फिर क्या करे...??
सोचते हैं हम...रात और दिन.....
ये करें कि वो करें,हम क्या करें...??
रात को तो रात चुपचाप होती है....
इस चुप्पी को कैसे तोडें,क्या करें...??
दिन को तपती धुप में,हर मोड़ पर...
कितने चौराहे खड़े हैं हम क्या करें??
सामना होते ही उनसे हाय-हाय....
साँस रुक-रुक सी जाए है,क्या करें??
कित्ता तनहा सीने में ये दिल अकेला
इसको कोई जाए मिल,कि क्या करें??
जुस्तजू ख़ुद की है"गाफिल",ढूंढे क्या
ख़ुद को गर मिल जाएँ हम तो क्या करें??
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9 टिप्‍पणियां:

Vinay ने कहा…

भई वाह मज़ा आ गया शे'र-शे'र सवा शेर है

---मेरा पृष्ठ
गुलाबी कोंपलें

Gee ने कहा…

bahut badiya....

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

बात पुरानी है, पर दिल में छा जानी है।

Unknown ने कहा…

bahut badhiya

Vineeta Yashsavi ने कहा…

Bahut khub...

Vineeta Yashsavi ने कहा…

Bahut khub...

makrand ने कहा…

जुस्तजू ख़ुद की है"गाफिल",ढूंढे क्या
ख़ुद को गर मिल जाएँ हम तो क्या करें??

bahut umda

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

यही तो दिक्कत है, भारत में बहुत कम लोग ही सही अर्थों में कुछ करना चाहते हैं>बन्धु, जब भी नयी पोस्ट लिखें मेरे ब्लाग पर लिन्क अवश्य दे दिया करें.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

जुस्तजू ख़ुद की है"गाफिल",ढूंढे क्या
ख़ुद को गर मिल जाएँ हम तो क्या करें??

ये शेर बहुत खूब है, यूँ तो सारे ही शेर लाजवाब हैं

 
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