आवन लागी याद तिरी.....दिल देखे है ये बाट तेरी.....!!
कौन इधर से गुज़रा है.....अटकी जाती है साँस मिरी....!!
फूल को डाल पे खिलने दो...देखत है इन्हे आँख मिरी .......!!
कितना गुमसुम बैठा है.....बस दिल में इक है याद तिरी....!!
बस इत उत ही तकती है.....आँख बनी हैं जोगन मिरी....!!
किस किस्से को याद करूँ....याद जो आए जाए ना तिरी.....!!
"गाफिल"मरना मुश्किल है...उसको देखे ना जान जाए मिरी....!!
3 टिप्पणियां:
Wah ustaad wah......kya baat hai
bahut badhiy
वाह वाह ग़ाफ़िल साहब, तस्वीर और तहरीर का उम्दा रब्त रखा आपने ग़ज़ल में.
कौन इधर से गुज़रा है.....अटकी जाती है साँस मिरी....!!
भूतनाथ जी या.........राजीव जी
आप की कविता सुंदर है, भावपूर्ण है
गुनगुनाने को जी चाहता है
एक टिप्पणी भेजें