भारत का संविधान

"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए------- न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ; स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की; समानता--स्थिति व अवसर की व इसको सबमें बढ़ाने की; बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ; सुरक्षित करने के उद्देश्य से आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"

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७५ वां दिन.....सौवीं पोस्ट....मुझे माफ़ करें....!!

शनिवार, 13 दिसंबर 2008






चलते-चलते जब भी मैं साँस लेता हूँ .........
इक लम्हा अपनी उम्र का रब को देता हूँ.....!!
मैं तो अपने-आप से अक्सर चौंक जाता हूँ....
मैं अपने-आप को अक्सर ही आवाज़ देता हूँ...!!
मौत भी जब मुझसे मायूस हो लौट जाती है....
ख़ुद ही उसकी चौखट पर मैं आहट देता हूँ...!!
क्यूँ हो जाता है यारब मुझसे बिन-बात खफा
जा ना अपनी उम्र तुझे मैं यूँ ही दान देता हूँ..!!
क्यूँ धरती पे ला पटका है मेरी मर्ज़ी के ख़िलाफ़...
वो तो मैं हूँ फिर भी तुझपर अपनी जान देता हूँ...!!
सुनाई देती है मुझे अक्सर उसकी ही धड़कन...
उसको याद करके "गाफिल"जब मैं साँस लेता हूँ...!!
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2 टिप्‍पणियां:

ss ने कहा…

सुनाई देती है मुझे अक्सर उसकी ही धड़कन...
उसको याद करके "गाफिल"जब मैं साँस लेता हूँ"
bahut ache. lajavaab

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

बधाई!

 
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