भारत का संविधान

"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए------- न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ; स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की; समानता--स्थिति व अवसर की व इसको सबमें बढ़ाने की; बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ; सुरक्षित करने के उद्देश्य से आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"

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यादें क्यूँ आती हैं....??

शनिवार, 13 दिसंबर 2008


बीते हुए लम्हे....
गुजरे हुए पल.....
बिखरी हुई यादें.....
थोडी-सी कसक.....
थोडी सी-सी महक....
डूबी हुई कोई सिसकी....
कोई खुशनुमा-सी शाम.....
या दर्द में डूबा संगीत..........
सुरमई से कुछ भीने-भीने रंग.....
यादों से विभोर होता हुआ मन.......
मचलती हुई कई धड़कनें....
फड़कती हुई शरीर की कुछ नसें.....
जाने क्या कहता तो है मन....
जाने क्या बुनता हुआ-सा रहता है तन....
बहुत दिनों पहले की तो ये बातें थीं......
आज तक ये क्यूँ जलती हुई-सी रहती है....
ये आग मचलती हुई-सी क्यूँ रहती है.....
अगर प्यार कुछ नहीं तो बुझ ही जाए ना....
और अगर कुछ है तो आग लगाये ना...
बरसों पहले बुझ चुकी जो आग है....
वो अब तलक दिखायी कैसे देती है....
और हमारी तन्हाईयों में उसकी सायं-सायं
की गूँज सुनाई क्यूँ देती है....!!
प्यार अमर है तो पास आए ना....
और क्षणिक है तो मिट जाए ना......
मगर इस तरह आ-आकर हमें रुलाये ना....!!
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1 टिप्पणी:

Alpana Verma ने कहा…

मगर इस तरह आ-आकर हमें रुलाये ना....!!

kya baat hai!

 
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