भारत का संविधान

"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए------- न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ; स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की; समानता--स्थिति व अवसर की व इसको सबमें बढ़ाने की; बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ; सुरक्षित करने के उद्देश्य से आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"

Visitors

उधेड़-बुन (राहुल उपाध्याय के ब्लॉग से साभार !!)

सोमवार, 1 दिसंबर 2008



About Me

Rahul Upadhyaya
राह चलते सबसे मिला/ हुआ नहीं किसी से गिला/ लगातार चले ये सिलसिला// उसी आस में जी रहा/ पानी घाट-घाट का पी रहा/ ध्वज मैं कोई लहराता नहीं/ यारों से मैं कतराता नहीं/ यहीं सच है कि मैं हूं एक सैलानी/ upadhyaya@yahoo.com




Monday, December 1, 2008

मंज़र हिंदुस्तान के


आओ यू-ट्यूब पर तुम्हें दिखाऊँ
विडियो हिंदुस्तान की
इस क्लिप पर क्लिक करो
ये क्लिप है जलते मकान की
वन डे यहाँ पर बम
वन डे वहाँ पचास खतम

ये रहा वो ताज होटल
जहाँ रईस मनाते थे रंगरेलियाँ
यहाँ चली थी बंदूके दनदन
यहाँ चली थी गोलियाँ
शिवसेना-निर्माण सेना के महारथी
सो रहे थे खा के नींद की गोलियाँ
'आमची मुम्बई, आमची मुम्बई' की
जो लगाते थे बोलियाँ
होश ठिकाने आ गए उनके
जो डींगे हाँकते थे बलिदान की
इस क्लिप पर क्लिक करो
ये क्लिप है भाषण देते हैवान की

ये रहा स्कूल जहाँ पर
बच्चे पाते हैं डिग्रियाँ
डिग्रियाँ तो मिलती हैं लेकिन
नहीं मिलती हैं नौकरियाँ
पढ़ा-लिखा देख के इनको
माँ-बाप ब्याह देते हैं बेटियाँ
कमा-धमा जब पाते नहीं हैं
तो निकालने लगते हैं रैलियाँ
कोई करे कलकत्ता बंद
तो कोई उखाड़े पटरियाँ राजस्थान की
इस क्लिप पर क्लिक करो
ये क्लिप है लुटती दुकान की

ये रहा संसद भवन
जहाँ लोग बैठे पहन के चूड़ियाँ
आए दिन सांसद बिकते हैं
जैसे बिकती हैं भेड़-बकरियाँ
रोज विभाजन होते हैं
रोज बनती नई-नई टोलियाँ
कोई करे चारा घोटाला
कोई दबाए सीमेंट की बोरियाँ
धीरे-धीरे ऐसी-की-तैसी
इन्होंने कर दी भारत महान की
इस क्लिप पर क्लिक करो
ये क्लिप है उजड़ते उद्यान की

जब भी आतंकवादी हाथ में आया
जात-देश उसकी पूछते हैं
'गर अपने ही देश का निकले
तो बगले झांकने लगते हैं
'गर निकले वो पड़ोसी देश का
तो अनाप-शनाप उन्हें फिर बकते हैं
और वो हो गुजरात-बंगाल-आंध्र का
तो उन्हें कुछ नहीं कहते हैं
कब तक हम निकालते रहेंगे
गलतियाँ श्री लंका-पाकिस्तान की
इस क्लिप पर क्लिक करो
ये क्लिप है ख़ुद के ही संतान की

ये रहा इस देश का कैलेंडर
जो बात-बात पर करता है छुट्टी
ये रहे आरक्षण के आँकड़े
जो जात-पाँत की उलझाते गुत्थी
ये रहे इस देश के युवा
जो क्रोध में भींच रहे अपनी मुट्ठी
ये रही विसा लेती प्रतिभाएँ
जो देश से कर रही हमेशा की कुट्टी
कौन भला बचेगा पीछे
जो सोचेगा भारत के उत्थान की
इस क्लिप पर क्लिक करो
ये क्लिप है खोते स्वाभिमान की

जितने मुँह हैं, उतनी बाते
हर कोई देता है प्रवचन
धरम-करम भी अलग-थलग है
भाषाएँ भी हैं पूरी दर्जन
फूट डालने की सबको छूट है
किसी पर नहीं है कोई बंधन
कहीं करे कोई अल्लाह-ओ-अकबर
तो कहीं पुकारे कोई अलख-निरंजन
चीख-चिल्लाहट के इस माहौल से
उम्मीद नहीं है शांतिपूर्वक समाधान की
इस क्लिप पर क्लिक करो
ये क्लिप है ज़हर में डूबे तीर्थस्थान की

सिएटल,
1 दिसम्बर 2008
(प्रदीप से क्षमायाचना सहित)
=============
यू-ट्यूब = YouTube
विडियो = video
क्लिप = clip
क्लिक = click
वन डे = one day
रैलियाँ = rallies
कैलेंडर = calendar
विसा = visa, a permit to live and work in another country

Posted by Rahul Upadhyaya at 2:23 PM 1 comments Links to this post

Labels: India, intense, New, news, parodies
Share this article on :
 
© Copyright 2010-2011 बात पुरानी है !! All Rights Reserved.
Template Design by Sakshatkar.com | Published by Sakshatkartv.com | Powered by Sakshatkar.com.