भारत का संविधान

"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए------- न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ; स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की; समानता--स्थिति व अवसर की व इसको सबमें बढ़ाने की; बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ; सुरक्षित करने के उद्देश्य से आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"

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यार तू सबको कितना सताएगा....??

गुरुवार, 11 दिसंबर 2008


कुछ भी छिपाया ना जाएगा.....

फिर भी पराया हो जायेगा....!!

सबको ये इल्हाम है मगर....

सबसे छिपाया ही जायेगा...!!

आदम की तरह खुदा भी इक दिन

मर जाएगा या मारा जाएगा !!

सअबको है सबसे ही कुछ गिला

तू किसको मुहब्बत करवाएगा ?

अपनों से अपनों में मची जंग...

फिर गैरों से क्या कह पायेगा...?

ग़ज़ल के नाम पर यह बक-बक

यार तू सबको कितना सताएगा !!

तुम्हें लगे जो आसा ,वो कर लो....

"गाफिल"तो मुश्किलें भगायेगा..!!
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8 टिप्‍पणियां:

"अर्श" ने कहा…

आदम की तरह खुदा भी इक दिन

मर जाएगा या मारा जाएगा !!

bahot khub likha hai aapne dhero badhai aapko sahab.....

ghughutibasuti ने कहा…

क्या वह जिंदा है अभी तक ?
घुघूती बासूती

seema gupta ने कहा…

आदम की तरह खुदा भी इक दिन

मर जाएगा या मारा जाएगा !!
????????????????

Manuj Mehta ने कहा…

माफ़ी चाहूँगा, काफी समय से कुछ न तो लिख सका न ही ब्लॉग पर आ ही सका.

आज कुछ कलम घसीटी है.

आपको पढ़ना तो हमेशा ही एक नए अध्याय से जुड़ना लगता है. यूँ ही निरंतर लिखते रहिये

BrijmohanShrivastava ने कहा…

आज मेरे ब्लॉग पर आपकी टिप्पणी देख कर सोचा आप सचमुच ही भूतनाथ हो ,ब्लॉग तो पढा ही साथ ही टिप्पणी भी पढीं /अपनों से अपनों की मची जंग फिर गैरों से क्या कह पायेगा बहुत प्यारी बात /फमिली कोर्ट के अधिकारी की पत्नी से सुबह से झगडा हो रहा था ११ बजे वे बोले अब मुझे आफिस जाना है आज एक पति पत्नी में सुलह करवाना है /गजल के नाम पर बक बक /गजल के एक शेर पर एक एनासीन बात ही खत्म /एक गजल में लगभग चार पाँच शेर तो होते ही है तो उतनी चाय पक्की /

तरूश्री शर्मा ने कहा…

सबको है सबसे ही कुछ गिला
तू किसको मुहब्बत करवाएगा ?

अपनों से अपनों में मची जंग...
फिर गैरों से क्या कह पायेगा...?
अच्छी गज़ल है। खासकर ये दो शेर तो बेहद उम्दा हैं। बधाई स्वीकारें।

Smart Indian ने कहा…

ग़ज़ल के नाम पर यह बक-बक
यार तू सबको कितना सताएगा !!

आनंद आ गया भय्या!

डॉ .अनुराग ने कहा…

आदम की तरह खुदा भी इक दिन
मर जाएगा या मारा जाएगा !!

सच कहा .पर उसे मरे तो एक अरसा हुआ दोस्त !

 
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