भारत का संविधान

"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए------- न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ; स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की; समानता--स्थिति व अवसर की व इसको सबमें बढ़ाने की; बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ; सुरक्षित करने के उद्देश्य से आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"

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उत्तर हम ख़ुद हैं......!!

मंगलवार, 9 दिसंबर 2008


bhoothnath said...
bhoothnath said...
सारे प्रश्नों का जवाब मेरी समझ से एक ही है....वो है....भारत के इन कतिपय नेताओं.....नौकरशाहों.....और तमाम प्रकार के "देशद्रोहियों" टाइप के लोगों को सड़क पर नंगा करके इतने कौड़े..... इतने कौड़े......मारो की उनको नानी...दादी.....लक्कार्दादी....सब के सब याद आ जायें....हम सब भारतीयों को असल में अपने चरित्र की बाबत नए सिरे से सोचने की जरुरत है.....एक देश को मिसाल बनाने के लिए पहले तो ख़ुद को मिसाल बनना पड़ता है.....नेता हमारा ही तो आईना हैं....यानि नेता हम ख़ुद ही तो हैं.....ऐसा लगता है कि हम वहाँ होते तो ये करते मगर किसी भी सही जगह पर पहुँच कर हम भी वाही करने लगते हैं....जो नेता...अफसर...और एनी सरकारी लोग करते हैं....आम जीवन में भी कौन सा हम मिसाल वाला सामान्य सा काम करने की चेष्टा करते हैं.....!!??
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2 टिप्‍पणियां:

नीरज गोस्वामी ने कहा…

बहुत खूब...आज नहीं तो कल ये होने ही वाला है...सहन करने की एक सीमा होती है...
नीरज

seema gupta ने कहा…

हम सब भारतीयों को असल में अपने चरित्र की बाबत नए सिरे से सोचने की जरुरत है.....
" ya very well said, its requirted now.."

Regards

 
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