भारत का संविधान

"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए------- न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ; स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की; समानता--स्थिति व अवसर की व इसको सबमें बढ़ाने की; बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ; सुरक्षित करने के उद्देश्य से आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"

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ओ दिल्लीवालों..महाराष्ट्रवालों !!

बुधवार, 22 अक्तूबर 2008

अरे दिल्ली वालों ...महाराष्ट्र वालों...असम वालों....आओ...आओ...!!
ऐसा करो ओ महाराष्ट्र वालों..तुम बिहारियों को मारों....!!
ओ दिल्लीवालों तुम किसी और को चुन लो....!!
ओ पंजाब वालों...तुम तो बड़े ही हट्टे-कट्टे हो..!!
तुम क्यूँ चुप बैठे रहोगे भाई...;
तुम भी यु.पी वालों को पीटो ना ...!!
अरे भइया ..तुम तो नाराज हो गए हरियाणा वालों....;
तुम दिल्ली वालों को ही कूट डालो...;
कैसे तुम्हारी छाती पर चढ़े बैठे हैं वर्षों से !!
ओ दक्षिणी वालों .....
तुम वां दूर-दूर से क्या ताक़ रहे हो...
तुम कश्मीर वालों के साथ ही....
दो-दो हाथ कर डालों ना !!
ओ बंगाल वालों अब तुम्हारी बारी है !
तुम तो झारखंड को ही खा जाओ....;
जैसे छीन लिया है तुमसे गुजरात ने ...
तुम्हारे मुहँ की ओर बढ़ता हुआ निवाला !!
ओ अरुणाचल वालों...
तुम क्या मूर्खों की तरह खड़े हो सालों ?
तुम मेघालय वालों की ही माँ.."...."दो !!

ओ भारत माता ......
कितनी शक्ति है तुम्हारे बेटों में!!??
देखो ना किस वीरता से लड़तें हैं....
ये अपने सगे बहनों....भाईयों से ॥!!
ये तो हंसकर मर मिटेंगे किसी भी दुश्मन से !!
मगर इनको ये तो बतलाओ कि....
किसी और से तो ये तब ना लडेंगे...
जब ये आपस में...
लड़कर मर-मिटने से बच रहेंगे.....!!

ओ भारतमाता शक्ति तो अपार है तुम्हारे बेटों में॥
पर ये नहीं जानते कभी भी कि .....
उसे खर्च कहाँ किया जाए ....
फुर्सत में बैठे तेरे बन्दे...
कहीं भी जाकर धमाचौकडी मचा आते हैं....
नहीं सोचते कभी परिणामों की....
सोचते हैं तो सिर्फ़ वोटों की...!!
हे भारतमाता !!
ये तेरा क्या उद्दार करेंगे ??
ये कपटी तो तेरे सामने ही
तेरी अस्मिता का बलात्कार करेंगे !!
ये तुझको अभी-अभी भाड़ में झोंक डालेंगे !!
तू ऐसा कर ...
अभी की अभी तू कूद जा किसी गहरे कुँए में....
या देखती रह कि कैसे करती हैं ...
तेरी ही संताने....तेरी योनि पर प्रहार ......!!??
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