भारत का संविधान

"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए------- न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ; स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की; समानता--स्थिति व अवसर की व इसको सबमें बढ़ाने की; बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ; सुरक्षित करने के उद्देश्य से आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"

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बुधवार, 15 अक्तूबर 2008

मेरे पास ढेर सारी चीज़ें थीं -
मैं उन्हें काफी दिनों तक सहेजता रहा ,
मगर -
अंततः उनमें से एक भी चीज़ न बची !!
और -
मैं बिल्कुल अकेला रह गया !!
तब मैंने जाना कि चीज़ें ,
कभी सहारा नहीं बनती ,आदमी का ,
यहाँ तक कि साया भी नहीं !!
अंततः
आप भी नहीं बचते ,चीज़ों की तरह !!

फिर, एक दिन अचानक -
वे सारी चीजें -
मेरे पास वापस आ गयीं ,
और मैनें उन्हें -
समस्त पृथ्वी-वासियों में बाँट दिया -
मगर तब भी -
मेरे पास कुछ चीज़ें बच ही रहीं !!
तब मैनें उन्हें -
अन्तरिक्ष-वासियों को दे डाला !!
सबने मुझे धन्यवाद दिया,
और मैनें भी उन्हें ,
उनके ढेर सारे प्यार के लिए !!

मैनें पाया कि -
मेरी समस्त चीज़ें तो ,
मेरे पास ही मौजूद थीं ,
और भी सघन होकर -
सबके -
ढेर सारे प्यार के रूप में !!
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