भारत का संविधान

"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए------- न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ; स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की; समानता--स्थिति व अवसर की व इसको सबमें बढ़ाने की; बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ; सुरक्षित करने के उद्देश्य से आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"

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आदमी चाहता क्या है

शुक्रवार, 17 अक्तूबर 2008

ऐ भाई मुझसे पूछ ना आदमी चाहता क्या है.....आदमी तो सिर्फ़-व्-सिर्फ़ मस्ती और भोग चाहता है....बदकिस्मती से उसे धरती पर कर्म ही करने पड़ते हैं,कर्म करना ही तो दुःख हैं !! जो चाँदी की चम्मच मुंह में लेकर आते है वो कहाँ कर्म करते हैं,उन्हें भोग से फुर्सत ही कहाँ!!ऐसे लोगों को देखना भी तो दुःख का ही एक दूसरा रूप है..और तुझे क्या-क्या बताऊँ !!
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