भारत का संविधान

"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए------- न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ; स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की; समानता--स्थिति व अवसर की व इसको सबमें बढ़ाने की; बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ; सुरक्षित करने के उद्देश्य से आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"

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बुधवार, 15 अक्तूबर 2008


Blogger bhoothnath said...
बहुत से लोगों का यह सोचना है कि लड़कों के लिए भी तो यह शर्त होती है कि इतनी पगार वाला ........आदि-आदि,तो लडकी के लिए भी ..............!! मगर ये तो मानना ही होगा कि सदियों से हमने लड़कियों और लड़कों के लिए अलग-अलग मापदंड तय किए हुए है !जहाँ लड़कों को पूरी आज़ादी और लड़कियों का पुरा दमन किया जाता है ! वैवाहिक जीवन के सन्दर्भ में तौलें तो क्या जो छुट आदमी अपने लिए बिना अपनी पत्नी से पूछे ही ले लेता है,वो छूट पत्नी को देगा ?? आदमी अक्सर क्रोधी,लालची,लूज-टेम्पर,व्यसनी,व्यभिचारी और अन्य भी कई "गुणों"से ओत-प्रोत होता है,क्या उसके लिए कोई शर्त है ??यदि यही "गुण"उसकी पत्नी में पाये जाएँ,तो क्या उसे और उसके परिवार वालों को बर्दाश्त होंगे??निम्नतम आय भी अगर आपकी नहीं है तो क्या शादी के बाद आप अपनी पत्नी और तत्पश्चात उससे होने वाले अपने बच्चों को भूखे मारेंगे ?? यदि माँ-बाप अपनी बच्ची के थोड़े-से सुख के लिए इतनी-सी बात सोचते हैं तो क्या वे पाप करते हैं,पेट भर रोटी देने की निम्नतम शर्त के अलावा वो कभी कहते हैं कि हमारी बिटिया को कम-से-कम निम्नतम सम्मान के साथ रखना??........क्या हम अपनी पत्नियों को वाकई उसका वास्तविक सम्मान या हक़ देते हैं??भाई साहब ये तो गनीमत है कि भारतीय माँ-बाप और उनकी बच्चियां हमारे सम्मुख कोई कठिन शर्त नहीं रखती,वरना स्त्रियों के प्रति हमारी लंद-फंद धारणाओं की बिना पर तो हमारा विवाह होना ही असंभव है!!दूसरे शब्दों में कहूँ तो कहना होगा कि हम तमाम पुरूष रंडवे ही रह जाएँ !!.......क्यों चलेगा क्या??
हम पुरुषों की तमाम खामियों के बावजूद हमारा वैवाहिक जीवन सफल है इसके लिए स्त्रियों को अनंत धन्यवाद दीजिये और अहसान मानिए उन समझदार स्त्रियों का जो हमारी तमाम लंठ-गिरी के बावजूद हमें माफ़ किए रहती है .....इसका १% भी अगर वे हों तो धक्के मार कर हम उन्हें घर से बहार कर देन!!(घर तो हमारा या हमारे बाप का है ना !!)
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