भारत का संविधान

"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए------- न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ; स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की; समानता--स्थिति व अवसर की व इसको सबमें बढ़ाने की; बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ; सुरक्षित करने के उद्देश्य से आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"

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ख्वाब कोई आग ही बन जाए कहीं....!!

मंगलवार, 24 फ़रवरी 2009

ख्वाब को ख्वाब ही बना रहने दो.....
ख्वाब कोई आग ना बन जाए कहीं !!
आग के जलते ही तुम बुझा दो इसे
सब कुछ ही ख़ाक ना हो जाए कहीं !!
अपने मन को कहीं संभाल कर रख
तेरे दामन में दाग ना हो जाए कहीं !!
तेरी जानिब इसलिए मैं नहीं आता !!
मेरी नज़रें तुझमें ही खो जाए ना कहीं !!
खामोशी से इक ग़ज़ल कह गया"गाफिल"
इसके मतलब कुछ और हो जाए ना कहीं !!
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ऐसा भी हो जाता है जब कि शब्द नहीं आते.....
आ भी जाए तो फिर आकर कहीं नहीं जाते.....
किसने समझा है इन शब्दों के मतलब को....
किसी की समझ में ये मतलब ही नहीं आते.....
शब्दों की तलाश में हम अकसर खो ही जाते हैं
और लौट कर ये रस्ते फिर नज़र भी नहीं आते
मन के तूफानों में अक्सर ही हम डूब जाते हैं....
और फिर यही शब्द तो हमें रास्ता हैं दिखाते.....
इक ज़रा प्यार से जब कभी इनको बोला करो....
बड़े-बड़े पत्थर भी फिर कोमल से फूल बन जाते
कभी तो अपने मन को मसोस कर धर देते हैं हम
और कभी आसमां की जद में उड़ने को चले जाते
हमसे यूँ बेमतलब ही उखड़े-उखड़े तुम रहा ना करो
हमसे भी तुम्हारे नखरे "गाफिल" सहे नहीं जाते....

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9 टिप्‍पणियां:

MANVINDER BHIMBER ने कहा…

ख्वाब को ख्वाब ही बना रहने दो.....
ख्वाब कोई आग ना बन जाए कहीं !!
आग के जलते ही तुम बुझा दो इसे
सब कुछ ही ख़ाक ना हो जाए कहीं !!
bahut badi baat kah di aapne

SAHITYIKA ने कहा…

ji aapki gazal to vakai bahut badhiya hai .. aur aapka dhanywad ki aapne meri kavita ka jawab kavita me diya.. parntu..
हमसे यूँ बेमतलब ही उखड़े-उखड़े तुम रहा ना करो
हमसे भी तुम्हारे नखरे "गाफिल" सहे नहीं जाते....
in panktiyon ka arth samjh nahi paaye ham.. hm aapse ukhade ukhade hai ?? aisa to bilkul nahi .. aur aapko hm se koi narazagi ho gayi hai kya?? ummid karte hai aisa kuch nahi hoga.. :)

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत सुंदर ...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

ख्वाब को मन में बसाते क्यों हो,
पीर को दिल में सजाते क्यों हो,
इनको नींदो में ही सीमित कर दो,
गीत और छन्द में गाते क्यों हो,

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

शब्द उर में हैं छिपे, जीभ दगा देती है।
ढाई-आखर को छिपा रोग लगा देती है।।

महेन्द्र मिश्र ने कहा…

ख्वाब को ख्वाब ही बना रहने दो
ख्वाब कोई आग ना बन जाए कहीं !

ख्वाब को ख्वाब रहने दो जाने महफ़िल में क्या हो जाये.

बहुत बढ़िया भूतनाथ जी .

admin ने कहा…

ख्वाब को ख्वाब ही बना रहने दो.....
ख्वाब कोई आग ना बन जाए कहीं !!

आग के जलते ही तुम बुझा दो इसे
सब कुछ ही ख़ाक ना हो जाए कहीं !!

अपने मन को कहीं संभाल कर रख
तेरे दामन में दाग ना हो जाए कहीं !!

बहुत ही खूबसूरत शेर कहे हैं आपने, बधाई।

hem pandey ने कहा…

शब्द को बंधक बने नहीं रहने देना है,क्योंकि -
'यही शब्द तो हमें रास्ता हैं दिखाते.....'

Shikha .. ( शिखा... ) ने कहा…

bahut bahut khoob...
bahut kuch sikhne ko milega aapke blog se..

 
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