भारत का संविधान

"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए------- न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ; स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की; समानता--स्थिति व अवसर की व इसको सबमें बढ़ाने की; बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ; सुरक्षित करने के उद्देश्य से आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"

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आईये दोस्तों !!करें देश की इज्ज़त की नीलामी....!!

मंगलवार, 28 जुलाई 2009

मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
आईये ना प्लीज़ आप भी यहाँ,
हम आपकी भी नुमाईश कर देंगे!!
बेशक आपने खोले नहीं हों अपने कपड़े बाथरूम में भी कभी
लेकिन हम आपको यहाँ बिल्कुल नंगा कर देंगे!!
हम यहाँ सबका सामना सच से कराते हैं
बेशक इस सच से हम सबको अधमरा कर देंगे !!
नई लाइफ-स्टाइल में कुछ भी गोपनीय नहीं होता
हर कोई एक बार कम से कम अधनंगा तो होना ही चाहिए !!
और हर सच भले ही चाहे कितना ही कुरूप क्यूँ ना हो
उस भयावह कुरूपता को परदे पर उजागर क्यूँ नहीं होना चाहिए??
परदे पर कुरूपता सुंदर-वैभवशाली और परिपूर्ण लगती है!!
इसलिए हर कुरूपता को खोज-खोज कर हम इस परदे को भर देंगे !!
भारत के तमाम भाई और बहनों
अब भी तुम सबमें कुछ तमीज-संस्कार और परम्परा यदि बाकी बची है
तो यहाँ आओ, इस तमीज की कमीज हम ही उतारते हैं!!
सभ्यता नाम की कोई चीज़ अगर आदमी में बाकी बच रही है,
उसे इन्हीं दिनों में ख़त्म होना होना है !!
ये बात बाबा"........"जी बता कर गए हैं !!
अरे भारत-वासियों,अब तो आप सच से मुकर मत जाना !!
और गली-गली से-हर नाली और पोखर से गंदे-से-गंदे
हर सच की बदबूदार सडांध को ढूँढ-ढूँढ कर इस मंच पर लाना !!
हम सच बेचते हैं,जी हाँ हम सच बेचते हैं!!
सच के साथ हम और भी बहुत कुछ बेचते हैं!!
ईमान-धरम की बात हमसे ना कीजै,
ये सब कुछ तो हम मज़ाक-मज़ाक में ही बेच देते हैं...!!
तो फिर साहिबान-कद्रदान-मेजबान-मेहमान !!
आज और अभी इस मंच पर आईये,
और हमसे मज़ाक का इक सिलसिला बनाईये,
और अपनी इज्ज़त के संग ख़ुद भी बिक जाईये!!
नोट-देश की इज्ज़त की नीलामी फ्री गिफ्ट के रूप में ले जाईये !!
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