भारत का संविधान

"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए------- न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ; स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की; समानता--स्थिति व अवसर की व इसको सबमें बढ़ाने की; बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ; सुरक्षित करने के उद्देश्य से आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"

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और लोगों की तरह मैं भी हलकान रहगा....!!

सोमवार, 13 अप्रैल 2009

पता नहीं क्यूँ उसके वादे पर करार रहा
वो झूठा था पर उसपे मुझे ऐतबार रहा !!
दिन-भर मेहनत ने मुझे दम ना लेने दिया
और फिर रात भर दर्द मुझसे बेहाल रहा !!
अजीब यह कि जो खेलता था,अमीर था
और जो मेहनत-कश था,वो बदहाल रहा !!
सच मुहँ छुपाये कचहरी में खडा रहता था
झूठ अन्दर-बाहर सब जगह वाचाल रहा !!
कई बार सोचा कि मैं ही अपना मुहं खोलूं
और लोगों की तरह मैं भी हलकान रहा !!
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2 टिप्‍पणियां:

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

सच मुहँ छुपाये कचहरी में खडा रहता था
झूठ अन्दर-बाहर सब जगह वाचाल रहा !!
बहुत सुन्दर.....

rachana ने कहा…

नमस्ते भूतनाथ जी!

यहां तक आपका लिखा सब पढ डाला. मुझे आपकी अभिव्यक्ति बहुत पसंद आई. सच मानिये कि ये आपके द्वारा की गयी मेरी तारीफ़ के बदले मे नही कह रही हूं, बल्कि आपके ब्लॊग तक कभी पहुंची ही नही थी...

एक बात और- आपको एक ब्लॊग ( मेरी मित्र के )पर देख कर चकित हूं! आप सच के भूत लगते हैं :) :).

 
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