भारत का संविधान

"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए------- न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ; स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की; समानता--स्थिति व अवसर की व इसको सबमें बढ़ाने की; बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ; सुरक्षित करने के उद्देश्य से आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"

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मुश्किल ही ना हो जाती गर....उत्तर मिल भी जाते तो.....??

मंगलवार, 21 अप्रैल 2009

बाकि ही क्या रह जाता गर.....उत्तर मिल भी जाते तो.....!!
और भी मुश्किल हो जाती गर....उत्तर मिल भी जाते तो ....!!
जिन्दगी बड़ी अबूझ रही.....इसीलिए हमने जी भी ली.....!!
वक्त से पहले मर जाते हम गर....उत्तर मिल भी जाते तो.....!!
हमने वक्त को पल-पल सींचा....पल-पल इक इंतज़ार किया
हर पल भारी-भारी हो जाता गर....उत्तर मिल भी जाते तो....!!
हर दुश्वार को आसां बनाना आदमी की ही अनूठी फितरत है
हर आसानी मुश्किल हो जाती गर उत्तर मिल भी जाते तो....!!
हमने मुहब्बत को अपनाया..और गाफिल सबों से प्यार किया
हम गाफिल भला कहाँ रह पाते गर...उत्तर मिल भी जाते तो...!!
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