भारत का संविधान

"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए------- न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ; स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की; समानता--स्थिति व अवसर की व इसको सबमें बढ़ाने की; बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ; सुरक्षित करने के उद्देश्य से आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"

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सबसे जुड़कर क्यूँ रहता हूँ....!!

शुक्रवार, 3 अप्रैल 2009

तनहा-तनहा जलता रहता हूँ
पर किसी का मैं क्या लेता हूँ !!
मुझमें तो हर कोई शामिल है
सबकी बातें कहता रहता हूँ !!
सबके गम तो मेरे मेरे गम हैं
सबके दुखडे सुनता रहता हूँ !!
सबमें खुद को शामिल करके
और सब खुद ही हो जाता हूँ !!
सबका दुखः मैं रोता रहता हूँ
अन्दर-अन्दर बहता रहता हूँ !!
सबको बेशक कुछ मुश्किल है
मुश्किल का मैं हल कहता हूँ !!
मुझमें कौन बैठा है "गाफिल"
सबसे जुड़कर क्यूँ रहता हूँ !!
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2 टिप्‍पणियां:

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

भाव बहुत सुन्दर हैं।बधाई।

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

मुझमें कौन बैठा है "गाफिल"
सबसे जुड़कर क्यूँ रहता हूँ !!
ये अलग किस्म का दर्द है -बोले तो अंदर -अंदर घुटता रहता हूँ .लेकिन आप को बधाई एक उम्दा रचना के लिए .

 
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