भारत का संविधान

"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए------- न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ; स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की; समानता--स्थिति व अवसर की व इसको सबमें बढ़ाने की; बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ; सुरक्षित करने के उद्देश्य से आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"

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अल्ला रे क्या हूँ मैं......??

सोमवार, 30 मार्च 2009

अपनी ही धून में गुम हूँ मैं
बस थोड़ा सा गुमसुम हूँ मैं !!
मुझसे तू क्या चाहता है यार
अरे तुझमें ही तो गुम हूँ मैं !!
बस गाता ही गाता रहता हूँ
कुछ सुर हूँ,कुछ धून हूँ मैं !!
याँ से निकलकर कहाँ जाऊं
आज इसी उधेड़बून में हूँ मैं !!
जागने और सो जाने के बीच
किसी और की ही रूह हूँ मैं !!
अल्ला रे मेरा क्या होगा यार
कि ख़ुद तो मैं हूँ ना तुम हूँ मैं !!
"गाफिल"मुझे इतना तो बता
मैं अकेला हूँ कि हुजूम हूँ मैं !!
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8 टिप्‍पणियां:

Prakash Badal ने कहा…

भूतनाथ जी, मीठी रचना है।काफी दिनों से आपके दर्शन नहीं हो रहे

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

Sarkar Shandar hai ji

seema gupta ने कहा…

याँ से निकलकर कहाँ जाऊं
आज इसी उधेड़बून में हूँ मैं !!
ये चिंता खतम नहीं होने वाली.....जिन्दगी भर लगी रहेगी...

Regards

mehek ने कहा…

waah bahut sunder

सुशील छौक्कर ने कहा…

बेहतरीन।

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

’गाफ़िल’ मुझे इतना तो बता
मैं अकेला हूं कि हुजूम हूं मैं’
अति सुन्दर!!! टिप्पणी करने का आपका तरीका भी सुन्दर.धन्यवाद.

Science Bloggers Association ने कहा…

हल्‍की फुल्‍की, पर दरदार गजल।

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तस्‍लीम
साइंस ब्‍लॉगर्स असोसिएशन

* મારી રચના * ने कहा…

wah bhoot naathji, kaha goom ho gaye?
choti si pankti mai bahut gaheri baat likhi hai...

 
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