भारत का संविधान

"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए------- न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ; स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की; समानता--स्थिति व अवसर की व इसको सबमें बढ़ाने की; बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ; सुरक्षित करने के उद्देश्य से आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"

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व्योम के पार से लौट कर...........

मंगलवार, 24 मार्च 2009

तेरे हरफ़ो के अर्थों में मुझे खो जाने दे...
इक ज़रा मुझको खुद में ही खो जाने दे!!
सामने बैठा भी नज़र ना आए तू मुझे
ऐसी बात है तो मुझको ही चला जाने दे !!
तेरी मर्ज़ी से आया तो हूँ अय मेरे खुदा
अपनी मर्ज़ी से मुझे जीने दे,चला जाने दे!!
आँख ही आँख से बातें दे करने दे तू मुझे
साँस को साँस से जुड़ने दे उसे समाने दे!!
इक जरा जोर से दिल को मिरे धड़कने तो दे
इक जरा जोर से मुझे आज तू खिलखिलाने दे !!
मुझको मेरी ही कीमत ही नहींपता "गाफिल"
इक तिरे सामने महफ़िल अपनी जमाने दे!!
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1 टिप्पणी:

Alpana Verma ने कहा…

बेहद ख़ुशी हुई कि मेरी एक रचना पर आप ने एक खूबसूरत कविता ही लिख डाली!
क्या बात है! बहुत सुन्दर रचना है.भाव प्रधान!
इस इज्ज़त अफजाई के लिए आप का शुक्रिया.

 
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