भारत का संविधान

"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए------- न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ; स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की; समानता--स्थिति व अवसर की व इसको सबमें बढ़ाने की; बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ; सुरक्षित करने के उद्देश्य से आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"

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हाँ..........स्थिति वाकई भयावह है....!!

सोमवार, 19 जुलाई 2010

मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!


                 हाँ........स्थिति वाकई भयावह है....!!!
                 आज ही रात को बंगाल के एक रेलवे प्लेटफोर्म पर एक भयावह हादसा घटित हुआ है...जिसने भी इस हादसे के बारे में सुना-पढ़ा या देखा है....वो मर्माहत है....सन्न है...किंकर्तव्यविमूढ़ है....समझ नहीं पा रहा कि इस हादसे से अकाल काल-कलवित हो गए लोगों के परिजनों के लिए आखिर क्या करे....उन्हें किस तरह ढाढस बंधाये....और घायल पड़े लोगों को किस तरह राहत दे....चारों ओर कोहराम-सा मचा हुआ है....लोग तड़प रहे हैं....चीख रहे हैं....चिल्ला रहे हैं....भयातुर हैं...किसी को एकबारगी समझ नहीं आ रहा कि इस स्थिति का सामना कैसे करें....चारों और आपाधापी मची हुई है....लोगों के बीच मौत के मातम तांडव कर रहा है...और प्रेस तथा तमाम चैनलों के प्रतिनिधि इस "प्रोग्राम"को कवर करने के लिए घायल लोगों से भी ज्यादा चीख-पुकार मचा रहे हैं...लोगों को राहत पहुंचाने से ज्यादा उनके "बाईट" लेने की होड़ मची हुई है सबके बीच....और इन तमाम "बायिटों" के साथ देश भर के चैनलों में एक-सा माजरा चल रहा है....सब-के-सब किसी नयी सी चीज़ को सबसे पहले अपने द्वारा "कवर" की गयी "स्टोरी" बता रहे हैं....और तरह-तरह की बातें करते हुए....उन्हीं-उन्हीं दृश्यों का वही-वही विश्लेषण करते हुए दर्शकों का समय व्यतीत करवा रहे हैं...!!
                     .इस अचानक घटी "स्टोरी" में भय-रोमांच-मौत-संवेदना और हृदय-विदारकता सभी कुछ है....जिससे खबर बनती है...जिससे चैनलों की डिमांड बढती है...जिससे चैनलों की कमाई.....मैं सोचता हूँ....कि स्थिति वाकई भयावह ही है....एक जिम्मेवार प्रेस का काम आखिर क्या है....??जल्दी-से-जल्दी अपने प्रिय दर्शकों तक "खबर" ओ सॉरी..."स्टोरी" पहुँचाना....और चूँकि कोई भी चीज़ "हराम" की तो होती नहीं.....सो खबर के साथ अथाह-अनगिनत विज्ञापन "पेल" देना....तो दर्शकों अभी-अभी (सिर्फ) हमने आपको यह बताया कि किस प्रकार यहाँ इस हादसे में पचास लोग मारे गए हैं....और सौ से ज्यादा लोग घायल हैं....जिनमें बीस की स्थिति बहुत-ही नाजुक है पता नहीं वे बच भी पायेंगे या नहीं...हम आपको उनके रिश्तेदारों के पास लिए चलते हैं..लेकिन तब तक एक छोटा-सा ब्रेक ( झेलिये आप सब !!) टी.वी.की स्क्रीन पर बांये साइड एक विज्ञापन की तस्वीर आ रही है....किसी शैक्षणिक-संस्थान की जिसमे यह बताया जा रहा है कि उनके संस्थान में फलां-फलां कोर्से की कीमत घटा दी गयी है....और दांयी तरफ एक अंडाकार विज्ञापन दर्शकों को पहले से काफी कम कीमत में फ़्लैट-जमीन-डुप्लेक्स उपलब्ध करा रहा है....और दर्शकों को जल्दी-से-जल्दी इस ऑफर को लूट लेने को कह रहा है.....और सबसे नीचे स्क्रीन पर एक पट्टी विज्ञापन की और चल रही है....जिसमें रेल-दुर्घटना के ब्योरों के बाद चैनल का विज्ञापन विज्ञापनदाताओं के लिए है....जिसमे चैनल यह बता रहा है कि इस चैनल में विज्ञापन देने के लिए हमारे इस-इस प्रतिनिधि से संपर्क करे....मैं रेल-दुर्घटना से विज्ञापन का कोई तारतम्य समझने की चेष्टा कर रहा हूँ....लेकिन मुझ मुरख के पल्ले कुछ पड़ ही नहीं रहा....बस इतना ही कह पा रहा हूँ कि श्तिति वाकई भयावह है....मगर दुर्घटना के सन्दर्भ में.....या चैनलों द्वारा उसे "परोसे" जाने के तौर-तरीके के सन्दर्भ में......??????  
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2 टिप्‍पणियां:

Shabad shabad ने कहा…

Aap ne bilkul sach likha hai...
Charon aur paissa bnane kee race lagee hai...
Kisee ke dhukh ko koee kia jane???

हास्यफुहार ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति।

 
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