भारत का संविधान

"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए------- न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ; स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की; समानता--स्थिति व अवसर की व इसको सबमें बढ़ाने की; बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ; सुरक्षित करने के उद्देश्य से आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"

Visitors

उम्र भर लिखते रहे..................

गुरुवार, 8 जुलाई 2010

मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
उम्र भर लिखते रहे,हर्फ़-हर्फ़ बिखरते रहे
बस तुझे देखा किये,आँख-आँख तकते रहे....!!
उम्र भर लिखते रहे.....
कब किसे ने हमें कोई भी दिलासा दिया
खुद अपने-आप से हम यूँ ही लिपटते रहे....!!
उम्र भर लिखते रहे.......
आस हमारे आस-पास आते-आते रह गयी..
हम चरागों की तरह जलते-बुझते रह गए.....!!
उम्र भर लिखते रहे.....
हम रहे क्यूँ भला इतने ज्यादा पाक-साफ़
लोग हमें पागल और क्या-क्या समझते रहे...!!
उम्र भर लिखते रहे....
आज खुद से पूछते हैं,जिन्दगी-भर क्या किये
पागलों की तरह ताउम्र उल्टा-सीधा बकते रहे....!!
उम्र भर लिखते रहे....!!!!
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4 टिप्‍पणियां:

seema gupta ने कहा…

blog ka template accha lga....or
उम्र भर लिखते रहे,हर्फ़-हर्फ़ बिखरते रहे
बस तुझे देखा किये,आँख-आँख तकते रहे....!!
उम्र भर लिखते रहे.....

ye panktiyan khas kar se acchi lgi

regards

Shabad shabad ने कहा…

हम रहे क्यूँ भला इतने ज्यादा पाक-साफ़
लोग हमें पागल और क्या-क्या समझते रहे...!!
सीधे और सादे व्यक्ति को लोग यूँ ही .....समझते हैं मगर ऐसे तो उस प्रभु के ज्यादा पास होते हैं....

आप का 'हिन्दी हाइकु' बलॉग पर आने का शुक्रिया ...
आप के हाइकु का इन्तजार रहेगा ।
http://hindihaiku.wordpress.com

हरदीप

Aruna Kapoor ने कहा…

भूतनाथ जी!...आपने तो अपनी व्यथा कागज पर उतारी है...मार्मिक रचना!... धन्यवाद!

Sankar shah ने कहा…

Kya likhu bas likhta hoon bahut badhiya likha hai apne...jyda likhunga to me bhi paglo me samil ho jaunga sir..............:)

 
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