भारत का संविधान

"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए------- न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ; स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की; समानता--स्थिति व अवसर की व इसको सबमें बढ़ाने की; बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ; सुरक्षित करने के उद्देश्य से आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"

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उफ़ !!यूँ भी होता तो क्या होता...??

मंगलवार, 2 जून 2009

मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
उफ़ यूँ भी होता तो क्या होता
गर्द से भरा मेरा चेहरा होता !!
इतने लोगों का यही है फ़साना
इस भरी भीड़ में तनहा होता !!
बावफा होकर भी यही है जाना
इससे बेहतर था बेवफा होता!!
तिल-तिल मरने से तो अच्छा है
जहर खा लेने से फायदा होता !!
अक्सर गम में हम ये सोचा किये
मेरे बदले यां कोई दूसरा होता!!
अच्छा इस बात को भी जाने दो
कि यूँ भी होता तो क्या होता !!
अच्छा हुआ कि तनहा गुजर गया
भीड़ में मरता तो क्या माजरा होता !!
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1 टिप्पणी:

ज्योति सिंह ने कहा…

bahut shaandar aur khoobsurat rachana .muhje aachchhi lagi .

 
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