भारत का संविधान

"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए------- न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ; स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की; समानता--स्थिति व अवसर की व इसको सबमें बढ़ाने की; बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ; सुरक्षित करने के उद्देश्य से आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"

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ओह जापान....तुम फिर से वैसे ही सुन्दर बन जाओ....!!

बुधवार, 16 मार्च 2011


ओह जापान....तुम फिर से वैसे ही सुन्दर बन जाओ....!! 
                 जो कुछ घट रहा होता है हमारे सामने,उससे विमुख हम कभी नहीं रह सकते...बहुत बार बहुत सी बातों पर हमारी आँखे भर-भर आती हैं...मगर कुछ भी हमारे बस में नहीं होता हम बस तड़प कर रह जाते हैं...जापान की विभीषिका एक ऐसी ही दुर्घटना है...जिस पर अपने भाईयों के लिए सिवाय मंगलकामनाएं और शुभकामनाएं प्रेषित करने के कुछ नहीं कर सकते...धरती पर जापान नाम की इस जगह के हमारे तमाम भाई बंधू जल्द-से-जल्द इस त्रासदी के परिणामों को झेल कर आने वाले कल में एक बार फिर एक सुन्दर-मजबूत और अकल्पनीय जापान के निर्माण को अग्रसर हों,ऐसी हमारी कामना है....हमारे जापानी भाईयों,विपदा की इस अभूतपूर्व घडी में हजारों मील दूर बैठे हम सब आपके साथ हैं...!!!!
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