भारत का संविधान

"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए------- न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ; स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की; समानता--स्थिति व अवसर की व इसको सबमें बढ़ाने की; बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ; सुरक्षित करने के उद्देश्य से आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"

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रविवार, 5 अप्रैल 2009

बन्दे-मातरम्......बन्दे-मातरम्......!!

Sunday, April 5, 2009

बन्दे-मातरम्,,,बन्दे-मातरम्....,!!

"..........गीता पर हाथ रखकर कसम खा कि जो कहेगा,सच कहेगा,सच के सिवा कुछ नहीं कहेगा "
"हुजुर,माई बाप मैं गीता तो क्या आपके ,माँ-बाप की कसम खाकर कहता हूँ कि जो कहूँगा,सच कहूँगा,सच के सिवा कुछ भी नहीं कहूँगा...!!"
"तो बोल,देश में सब कुछ एकदम बढ़िया है...!!"
"हाँ हुजुर,देश में सब कुछ बढ़िया ही है !!"
"यहाँ की राजनीति विश्व की सबसे पवित्र राजनीति है !!"
"हाँ हुजुर,यहाँ की राजनीति तो क्या यहाँ के धर्म और सम्प्रदाय बिल्कुल पाक और पवित्र हैं,यहाँ तक की उनके जितना पवित्र तो उपरवाला भी नहीं....!!"
"हाँ....और बोल कि तुझे सुबह-दोपहर-शाम और इन दोनों वक्तों के बीच भर-पेट भोजन मिलता है !!"
"हाँ हुजुर,वैसे तो मेरे बाल-बच्चे और मैं और मेरी पत्नी हर शाम भूखे ही रहते हैं,लेकिन आप कहते हैं तो बताये देता हूँ कि हमें छहों वक्त भरपेट भोजन तो क्या मिलता है बल्कि ओवरफ्लो ही हो जाता है...मेरे जैसे लाखों इस देश के लोग भूखे होने की नौटंकी करते रहते हैं !!"
"जरुरत से ज्यादा मत बोल,जितना कहा जाए उतना ही बोल....!!"
"हुजुर थोड़े कहे को ज्यादा समझा....और ज्यादा बोल देता हूँ....आप ही की आसानी के लिए....हुजुर !!"
"ठीक है-ठीक है !!बोल इंडिया में चारों और शाईनिंग ही शाईनिंग है !!"
"हाँ हुजुर, शाईनिंग ही शाईनिंग तो क्या हमारा देश और उसके लाखों-लाख गाँव दिन-रात ऐसी रौशनी से जगमगा रहे हैं कि हर कोई इस जगमगाहट से अघा गया है.....!!"
"फिर जास्ती बोला तू.....!!"
"हुजुर,माई-बाप...!!गलती हो गई गई.....माफ़ कीजिये मालिके-आजम !!"
"हाँ,इसी तरह हम सबको इज्जत दे,सबकी इजात कर ....तभी सबसे इज्जत पायेगा....!!"
"हुजुर, इस देश में हम गरीबों को इतनी इज्जत-इतनी इज्जत मिल रही है कि उस इज्जत से हमारा हाजमा ख़राब हो रहा है,यहाँ तक कि हम सब कभी-कभी आप लोगों से बदतमीजी से पेश जाते हैं....!!"
"हाँ,अब तू समझदार होता जा रहा है....!!"
"हुजुर सब आपकी कृपा,आपकी इनायत है सरकार !!"
"हाँ,बस इसी तरह तू बोलता रह,हमारी चांदी होगी तो तेरी भी चांदी होगी है कि नहीं .....??"
"हाँ हुजुर,हमारी का तो पता नहीं.....आपकी जरुर होगी चांदी सरकार !!"
"अबे,जबान लड़ता है...??"
"हुजुर, फिर गलती हो गई....क्या करें जबान है ,लड़खड़ा ही जाती है,अब नहीं गलती होगी सरकार....!!"
"साला,बार-बार बोलता है गलती नहीं होगी-गलती नहीं होगी.....और बार-बार गलती भी करता है....अबे साला आदमी है कि भकड़मल्लू...!!"
"हुजुर आदमी नहीं हूँ...बस गरीब हूँ.....!!गरीब में और आदमी में क्या अन्तर होता है....सो तो सरकार ही जानती है...!!"
"हूँ....!!जरुरत से ज्यादा अक्ल गई है तुझे,साले तेरी खातिर ही हम सब सब मरते हैं...तेरे लिए ही तो क्या-क्या करते हैं....तब ही तो अपना कुछ कर पाते हैं....!!"
"दुरुस्त फ़रमाया सरकार....!!हमारे जीने पे-हमारे मरने पे ही आपकी जिन्दगी निर्भर है हुजुर-आला....!!"
"ठीक है-ठीक है.....इतनी सारी बातें तुने सच-सच कही....अब एक आखिरी बात भी सच बोल दे !!"
"सरकार,आप फरमाएं....हमें तो सिर्फ़ उसकी कापी करनी है....कहिये हुजुर...!!"
"तो बोल भारत माता की जय.....भारत माता की जय...!!"
"हुजुर,ये तो मैं नहीं बोलूँगा...!!"
"अबे क्यूँ-क्यूँ.....!!??"
"हुजुर हम तो मजूर लोग हैं.....आपका कहा हुआ...आपका बताया हुआ सच बोलते हैं.....इससे आप भी खुश हो जाते है,और हमारी आन का भी कुछ नहीं बिगड़ता....मगर इससे ज्यादा सच बोले को ना कहिये सरकार !!"
"अबे बोलता है कि नहीं ??"
"नहीं हुजुर....!!"
"अबे बोल....!!"
"नहीं हुजुर...!!"
"बोल.....!!"
"नहीं हुजुर.....!!
"तो ले,ये ले लात खा ...!!"
अबकी मजदूर उठता है.....अपनी लाठी उठाता है.....और अफसर को दे लाठी-दे लाठी....धुनना शुरू कर देता है ......लाठी के बेरहम प्रहार से अफसर अधमरा हो जाता है......अपनी लाठी उठाये मजदूर यह गाते हुए चल देता है
"बन्दे-मातरम्-बन्दे मातरम्.......!!"
दृश्य का पटाक्षेप होता है......और लेखक इस दृश्य के साकार होने की कल्पना में डूब जाता है.....!!
शुक्रवार, 3 अप्रैल 2009

सबसे जुड़कर क्यूँ रहता हूँ....!!

तनहा-तनहा जलता रहता हूँ
पर किसी का मैं क्या लेता हूँ !!
मुझमें तो हर कोई शामिल है
सबकी बातें कहता रहता हूँ !!
सबके गम तो मेरे मेरे गम हैं
सबके दुखडे सुनता रहता हूँ !!
सबमें खुद को शामिल करके
और सब खुद ही हो जाता हूँ !!
सबका दुखः मैं रोता रहता हूँ
अन्दर-अन्दर बहता रहता हूँ !!
सबको बेशक कुछ मुश्किल है
मुश्किल का मैं हल कहता हूँ !!
मुझमें कौन बैठा है "गाफिल"
सबसे जुड़कर क्यूँ रहता हूँ !!
गुरुवार, 2 अप्रैल 2009

भारत के संविधान की प्रस्तावना.....और हम....!!

भारत के संविधान की प्रस्तावना
"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए-------
न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ;
स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की;
समानता--स्थिति अवसर की इसको सबमें बढ़ाने की;
बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ;
सुरक्षित करने के उद्देश्य से
आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"
देश के सारे बंधू-बांधवों..........!! हमारे सर के एन ऊपर चुनाव है.....और हमारे चारों और इसी की सरगर्मियां भी.....क्या हमारे अतीत के प्रतिनिधि ,वर्तमान प्रतिनिधि तथा हमारे समक्ष खड़े हुए तमाम उम्मीदवारों में ऊपर उल्लिखित संविधान के किसी भी गुणों का भाव पाते हैं...??
देश के सारे बंधू-बांधवों...........!!संविधान का कोई मतलब ,कोई पवित्रता ,उससे अपनी कोई अभिन्नता ,अपने इस देश में रहने का कोई अर्थ क्या सचमुच हम समझते हैं....??
देश के सारे बंधू-बांधवों...........!!क्या आप यह जानते हो कि हमारे देश के संविधान को बनाने वाले लोग कोई ऐसे-वैसे लोग नहीं बल्कि अत्यन्त ही पढ़े-लिखे ,अत्यन्त ही विषय-मर्मग्य ,अत्यन्त ही प्रखर और स्वाधीनता के संघर्ष की आंच में तपे-तपाये लोग थे ,जिन्होंने अत्यन्त ही श्रमसाध्य कार्य कर हमारे देश के संविधान को जन्म दिया.....लेकिन साथ ही बाबा साहब आंबेडकर ने इस देश की राजनीति का मन भांपकर आने वाले दिनों में संभावित खतरों के बारे में इस देश की संसद को तथा प्राकारांतर से इस देश की जनता को आगाह भी किया था....आसन्न संकट को भांपते हुए जो भय ,जो डर उन्होंने आज से साठ साल पहले व्यक्त किया था...आज वही हम सब के सर चढ़कर बोल रहा है..........!!
देश के सारे बंधू-बांधवों...........!!जैसा कि आप सब जानते हो कि आप सबने अब तक किसी भय....किसी लालच....किसी तत्कालीन भावना....किसी नशे के लती होकर किसी ना किसी उम्मीदवार को अपना मत देकर संसद को सुशोभित किया है....अब उसने संसद में क्या किया है....और आप सबके बीच क्या....यह आपको भलीभांति मालूम है.....!!यह जो हाल हमारे देश का और संसद में बैठे अपराधियों के कारण हारे संविधान का दिखायी पड़ता है.....वह दरअसल हमारे ही कर्मों का प्रतिफलन है.....जिन्होंने उपरिउल्लिखित कारणों से गैर वाजिब व्यक्ति को वोट दिया....और सबसे बढ़कर उनलोगों ने ,जिन्होंने वोट ही नहीं दिया यानि जिन्होंने संसदीय-व्यवस्था में या कि संविधान में अपनी आस्था ही नहीं जताई.....!!.......और वही सबसे बढ़कर देश के हालात का रोना रोते और कल्पते-कूटते हैं.....!!
देश के सारे बंधू-बांधवों...........!!...........सबसे पहले तो यही तय करो कि कम से कम इस चुनाव का भी आप वही हाल ना बना डालो....प्रकारांतर से देश की संसद को कुडाघर.........अजायबघर.....अपराधियों की पनाहगाह.....देश-द्रोहियों की शरणगाह.....लम्पट लोगों का अड्डा....या ऐसी ही कोई चीज़ ना बना डालो.....अपनी माँ की इज्जत के लिए जो भी तुम करते हो.....वही सब इस देश की आत्मा की रक्षा के भी करो....जैसे अपने बच्चों पर दया करते हो वैसे ही देश की जनता पर भी दया करो.....जैसे अपने किसी परिचित के लिए दुआ करते हो....वैसे ही इस देश की कुशल मंगल के लिए भी दुआ करो.....!!
देश के सारे बंधू-बांधवों...........!!जो कुछ भी तुम सब अपने हक़ के लिए करते हो....वही सब जो भी तुमसे मुमकिन हो सके....इस देश के हक़ के लिए भी करो....कभी भी उनलोगों के माथे पर तिलक मत करो....जो अंततः तुम्हारे हक़ को खा जाने वाले हैं.....और देश की आत्मा का गला ही घोंट देने वाले हैं....जो भारत माता का बलात्कार ही कर डालने वाले हैं....याद रखो यह बलात्कार वो तो बाद में करते हैं.....उससे पहले तो तुम ही करते हो उन्हें संसद में भेजकर.....उन्हें अपना नुमाइंदा बनाकर.....भारत की दुर्दशा की पूर्व पीठिका तुम्हीं हो..... मेरे देश के मासूम और भोले-भाले लोगों.....मगर अपने इस भोलेपन के चोले को अब उतार भी फेंको.....एक सुंदर भविष्य तुम्हारी राह तक रहा है.....एक मानवता तुम्हे बड़ी हसरत से देख रही है.....एक बहुत बड़ा स्वप्न अब पूरा होने को है......अगर तुम आँखे खोल कर देख सको.....!!सच.....!!!!
 
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