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3 टिप्पणियां:
- 36solutions ने कहा…
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भूतनाथ की टिप्पणियों में उपस्थिति मजेदार होती है, आभार भूतनाथ जी ।
- 16 अक्टूबर 2008 को 8:29 am बजे
- Aruna Kapoor ने कहा…
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भूतनाथजी मै कतई डरपोक नहीं हु॑।...चूहों से भले ही डर लगता हो... भूतों से क्या डरना भूत दिखाई देते तो डरना लाजमी भी था...लेकिन वो तो।...जाने दीजिए..एक कहावत है कि' भूत का नाम लेते ही भूत हाजिर हो जाता है'.... तो भूतनाथजी मैने आपका नाम ले लिया, आप कहां हाजिर हुए?...इसका मतलब आप भूत नहीं है।....दैसे भी मै भ..भ...भूत से, ड..डरती कहां हूं।
- 16 अक्टूबर 2008 को 11:11 pm बजे
- प्रदीप मानोरिया ने कहा…
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अब डराना बंद कर दो भूतनाथ जी
- 18 अक्टूबर 2008 को 8:14 am बजे
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भाई भूतनाथ पुरूषों के बारे में आपकी राय जानकर, आपकी बुद्धि पर तरस आती है. आप किस ज़माने के मर्दों की बात कर रहें है. भाई साहब ये पी-४ युग है. जहाँ अब लड़कों-लड़कियों में बहुत जयादा अन्तर नहीं है. कुछ फिजिकल अन्तर ही रह गया है. आप जिन पुरूषों की बात कर रहें है, हो सकता है आप भी उनमे शामिल होंगे. तभी तो नाम बदल कर अपनी बात रख रहें. पहचान छुपकर कुछ भी कहना आसान होता है. पर ये एक कमजोरी को भी दर्शाता है. इसलिए आपके बारे में कहा जा सकता है आप पुरूष ही नही..........है. शादी कर के दोनों साथ रहते है. इसमे कोई किसी पर एहशान नहीं करता.आप क्या गुनी है जो पुरुषों को न जाने क्या-क्या संज्ञा दे रहे है. आप ऐसे है तो सबको कृपया ऐसी श्रेणी में न रखे. परिवार चलाने में दोनों की सामूहिक जिम्मेवारी होती है. येही सफल दाम्पत्य जीवन होता है. वरना ब्रिटनी जैसी भी लड़कियां होती है जो शादी के अगले ही दिन तलाक लेती है.