रात को कोई रोया था !!
रात आँख खुल गयी
एक सपने ने छुआ था !
आँख बड़ी नम थी,
शायद रात को मैं रोया था !!
आज वो खिल-खिल उठा
बीज जो मैंने बोया था !!
देर तक सोता ही रहा
बड़े ही दिनों से सोया था!!
आज वो बिखर ही गया
ख्वाब जो मैंने संजोया था !
मुझसे प्यार मांगता था
खुदा रु-ब-रु रोया था !!
था वो जनाजे में शामिल
जिसने मुझे डुबोया था !!
वो मेरे नजदीक था, पर
करवट बदल कर सोया था !
उसके आंसुओं से "गाफिल"
अपना जिस्म भिंगोया था !!
रात आँख खुल गयी
एक सपने ने छुआ था !
आँख बड़ी नम थी,
शायद रात को मैं रोया था !!
आज वो खिल-खिल उठा
बीज जो मैंने बोया था !!
देर तक सोता ही रहा
बड़े ही दिनों से सोया था!!
आज वो बिखर ही गया
ख्वाब जो मैंने संजोया था !
मुझसे प्यार मांगता था
खुदा रु-ब-रु रोया था !!
था वो जनाजे में शामिल
जिसने मुझे डुबोया था !!
वो मेरे नजदीक था, पर
करवट बदल कर सोया था !
उसके आंसुओं से "गाफिल"
अपना जिस्म भिंगोया था !!
2 टिप्पणियां:
भूतनाथ भाई जबर्दस्त!
था वो जनाजे में शामिल जिसने मुझे डुबोया था...
बहुत खूब मैं आपकी सारी पोस्ट पढ़ रहा हूं।
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
Behtreen shabd sanyojan.......
एक टिप्पणी भेजें