ये जो हो रहा है !!
जो हो रहा है उसे समझ,ख़ुद को समझाने दे ,चुप मत बैठ आदम ,दिल को तिलमिलाने दे!!
अपने या घर-दूकान के भीतर घुसा मत रहा,
बाहर निकल,ताज़ी हवा को भी पास आने दे!!
कोई भी किसी को जीने क्यूँ नहीं दे रहा ,
ख़ुद को कभी उनसे ये बात कर के आने दे !!
तेरे कूच करने से ही बदल पाएगी ये फिजां ,
तू अपनी मुहब्बत से जरा इसे बदलवाने दे !!
जन्नत एक तिलिस्म नहीं है मेरे भाई,सच,
मेरे साथ चल,प्रेम के गली में हो के आने दे !!
तू अपनी सोच में अच्छा हो के बैठा मत रह,
तू अपने अच्छे कर्मों को यां खिलखिलाने दे !!
तेरे रहते ही कुछ अच्छा हो,तो हो जाए"गाफिल",
वरना इस बेमुरौवत जिंदगी का क्या,जाने दे !!
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