दोस्तों धरती पर रह रहे तमाम लोगों के बारे में यह बात सुस्पष्ट रूप से कही जा सकती है की धरती पर के सारे लोग अंततः धरती का भला चाहते हैं,और तकरीबन हर कोई शायद धरती को स्वर्ग ही बनाना चाहता है,अब यह बात अलग है कि इस सपने को फलीभूत करने के लिए जो कर्म करने होते हैं,उन्हें करना तो दूर,सही तरह से उनपर विचार भी नहीं किया जाता...तो आदमी द्वारा की जाने वाली इस प्रकार की बातें दरअसल एक मज़ाक ही लगती हैं...एक बहुत बड़ा बेहूदा मज़ाक...!!जो धरती के हर एक कोने में लाखों-करोड़ों लोग हर वक्त विलापते रहते हैं....और बड़े सुकून से ठीक उसी वक्त वो धरती का सीना छलनी करते हुए होते हैं....जिस वक्त वो धरती के बारे में बड़ी-बड़ी बातें करते हुए होते हैं...और एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि धरती को सबसे ज्यादा छलनी करने वाले या इसे लूटने वाले लोग ही धरती को सुन्दर बनाने की बातें करते हैं,तथा इसे करने के लिए वो तरह के दान-धर्म आदि भी करते हैं...और इस तरह वो दानवीरता के "कर्ण"कहलाये जाते हैं...और धरती के समाज पर उनका प्रभुत्व अन्य लोगों की अपेक्षा और-और-और बढ़ता जाता है...!!
दोस्तों जिस तरह हम सब इंसान धरती पर जीने के लिए अपने लिए बेहतर से बेहतर संसाधन चाहते हैं और सुख से जीना चाहते हैं....