मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
कुछ सालों पहले की
बात है एक ताकतवर किरायेदार हुआ करते थे,जो बरसों से एक शहर में उस शहर के सबसे पाश और व्यापारिक इलाके में अवस्थित
अपेक्षाकृत कमजोर व्यक्ति के व्यापारिक प्रोपर्टी पर किरायेदार थे,और बरसों से उन्होंने अपने मकान मालिक को अपने
राजनैतिक रसूख और ताकत के बल पर किराया देना भी बंद कर रखा था मगर उस जगह के कई पार्ट कर उन्होंने कई किरायेदार लगा
रखे थे और इस तरह वो इस हराम की संपत्ति से हज़ारों रूपये हर माह कमा रहे थे और
मकान मालिक उनका मूहँ ताक रहा था,देखा जाए तो देश में ऐसे बहुत से किरायेदार अब
भी हैं !!मगर यह उदाहरण निजी लोगों के मामलों का है,देश के मामले में अगर इसे देखा जाए तो स्थिति की भयावहता का आम आदमी तो
अंदाजा भी नहीं लगा सकता क्योंकि जिन लोगों को देश की जनता कुछ सालों के लिए सत्ता
सौंपती है वो इसके सारे संसाधनों को जिस बेशर्मी और थेथरई से हराम के माल की तरह
कमाते और लुटाते हैं वो दरअसल देश-द्रोह का जघन्यतम उदाहरण है और इस सबका अंत कहाँ जाकर होना है,वह भी समझ नहीं आता !!आज आम आदमी यह समझ पाने
में असमर्थ है कि ऊपर आखिर हो क्या रहा है,देश आखिर जा कहाँ रहा है ??क्या इस सबका अंत किसी गृहयुद्द में जाकर होना है या कि कुछ और ही होना है फिर
भी इतना तो तय है कि वतन के साथ गद्दारी करने वालों को समय कभी माफ़ नहीं करेगा और इतिहास तो क्या ,गद्दारों के मूंह पर खुद उनके बच्चे ही कालिख पोतेंगे !!
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