आ ना कुछ करके दिखाते हैं !!
आ चल तुझे इक खेल खिलाते हैं,चल ज़रा चाँद को ही छु आते हैं !!
आ ना खुशियाँ बटोर कर लाते हैं,कुछ देर जरा बच्चों को खिलाते हैं !!
हर रोज़ अच्छाई की कसम खाते हैं,रोज़ कसम तोड़कर सो जाते हैं!!
खुदा को तो जरा भी नहीं जानते हैं,और मस्जिद में नमाज़ पढ़ आते हैं !!
असल में कुछ दिखाई तो देता नहीं,लोग सपनों की महफ़िल सजाते हैं!!
ख़ुद तो खुदा से किनाराकशी करते हैं,बच्चों को उसकी कसम खिलाते हैं!!
इक दिन मुझे उदास देख बेटी बोली,पापा चलो ना पार्क घूम आते हैं!!
जिनके भीतर कुछ नहीं होता वे अक्सर,अपने कपड़े...जूते दिखाते हैं!!
बाहर तो चलाते हैं वो गोलियाँ और,घर में खुदा की फोटुयें सजाते हैं !!
बहुत ज्यादा छोटी रखी हुई है हमने,आओ प्यार की चादर और फैलाते हैं !!
इबादत थोडी ना करते हैं हम "गाफिल",वो तो बस अपना दिल बहलाते हैं !! ...आगे पढ़ें!
आ ना खुशियाँ बटोर कर लाते हैं,कुछ देर जरा बच्चों को खिलाते हैं !!
हर रोज़ अच्छाई की कसम खाते हैं,रोज़ कसम तोड़कर सो जाते हैं!!
खुदा को तो जरा भी नहीं जानते हैं,और मस्जिद में नमाज़ पढ़ आते हैं !!
असल में कुछ दिखाई तो देता नहीं,लोग सपनों की महफ़िल सजाते हैं!!
ख़ुद तो खुदा से किनाराकशी करते हैं,बच्चों को उसकी कसम खिलाते हैं!!
इक दिन मुझे उदास देख बेटी बोली,पापा चलो ना पार्क घूम आते हैं!!
जिनके भीतर कुछ नहीं होता वे अक्सर,अपने कपड़े...जूते दिखाते हैं!!
बाहर तो चलाते हैं वो गोलियाँ और,घर में खुदा की फोटुयें सजाते हैं !!
बहुत ज्यादा छोटी रखी हुई है हमने,आओ प्यार की चादर और फैलाते हैं !!
इबादत थोडी ना करते हैं हम "गाफिल",वो तो बस अपना दिल बहलाते हैं !! ...आगे पढ़ें!
Thursday, September 18, 2008
"गाफिल"जाने भी दो ना !!
दुनिया बदल रही है,इसे देखने दो ना ,क्या अच्छा है बुरा क्या समझने दो ना !!
रात को आराम से गुजर जाने भी दो,समय से पहले तो रौशनी को पकडो ना !!
खुदा के पास पहुँचने के हैं रस्ते कई ,सबको अपने ही रास्ते पे चलने दो ना !!
तलवारें चलाने से भला खुदा मिला है?हर किसी को उसकी खुदाई बख्शो ना !!
जिसके नाम पे हो जाते हो लामबंद ,कभी उसकी रज़ा को भी तो समझो ना !!
खिंच जाती हैं बात-बात पर तलवारें,अब इतना भी किसी बात को पकडो ना !!
अल्ला को तो खुला-खुला ही रहने दो,अपनी आदतों में तुम उसे तो जकडो ना!!
तेरे होने के भरम में जीता हूँ यारब ,कहाँ हो कभी घर आकर तो मिलो ना !!
तेरे नाम पे ठा-ठा करता है आदम ,यार इसके दिमाग को बदल डालो ना !!
इत्ती-सी बात को दिल में लिए बैठे हो,अब छोड़ो भी "गाफिल"जाने दो ना !!
रात को आराम से गुजर जाने भी दो,समय से पहले तो रौशनी को पकडो ना !!
खुदा के पास पहुँचने के हैं रस्ते कई ,सबको अपने ही रास्ते पे चलने दो ना !!
तलवारें चलाने से भला खुदा मिला है?हर किसी को उसकी खुदाई बख्शो ना !!
जिसके नाम पे हो जाते हो लामबंद ,कभी उसकी रज़ा को भी तो समझो ना !!
खिंच जाती हैं बात-बात पर तलवारें,अब इतना भी किसी बात को पकडो ना !!
अल्ला को तो खुला-खुला ही रहने दो,अपनी आदतों में तुम उसे तो जकडो ना!!
तेरे होने के भरम में जीता हूँ यारब ,कहाँ हो कभी घर आकर तो मिलो ना !!
तेरे नाम पे ठा-ठा करता है आदम ,यार इसके दिमाग को बदल डालो ना !!
इत्ती-सी बात को दिल में लिए बैठे हो,अब छोड़ो भी "गाफिल"जाने दो ना !!
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