गज़लों जैसा कुछ-कुछ ......"गाफिल "
एक बात बताता हूँ तू जरा ध्यान से सुन ,मैंने बनाई प्यारी-सी खुदा की इक धून !!
जिन्दगी को जीने में कुछ एहतराम बरत,तू इसे इक मुफलिस के स्वेटर-सा बून !!
जो तुझे मिला है मिला वो मुझे क्यूँ नहीं,शायद मुझमे नही थे उसे पाने के वो गुण !!
इक राह जा रही है हर वक्त खुदा की और,मैं चुनता जाता हूँ हर वक्त उसी की धूल !!
ये जो टूटे हुए कुछ ख्वाब बिखरे हुए हैं ,
मैं इधर चुनता हूँ "गाफिल",तू उधर चुन !!
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दरख्त की है प्यारे प्यास है कितनी ,
रहती है उसमे शायद चिडिया जितनी !!
समंदर अक्सर ही सोचा करता है कि ,
तैरती हैं आख़िर उसमें मछलियाँ कितनी !!
किसी पल को भी चैन से नहीं बैठता ,
आदमी की आख़िर हाय जरूरते कितनी !!
खुदा से तू अब कुछ और तो मत माँग ,
पहले से ही हैं उसकी तुझपे नेमतें कितनी !!
खुशियाँ जितनी भी उन्हें सर पर धर ,
क्यूँ सोचता है हर शै,तू इतनी कि उतनी!!
अपना वक्त आने तो दे अमां "गाफिल",
खुशियाँ भर-भर मिलेंगी तुझे भी उतनी !!
3 टिप्पणियां:
bhootnaathji, gajhal bahut achchhi lagi!....lekin ye gafil kaun kaun hai ji?...waise unfortunatly mai sardaarni nahi hun ...lekin sardaaron ki company mein dil khush ho jaata hai!
दीप मल्लिका दीपावली - आपके परिवारजनों, मित्रों, स्नेहीजनों व शुभ चिंतकों के लिये सुख, समृद्धि, शांति व धन-वैभव दायक हो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ दीपावली एवं नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
शुभम् करोति कल्याणं,
अरोग्यम धन: सम्पदा,
शत्रु बुद्धि विनाशाय,
दीपमज्योती नमोस्तुते!
शुभ दीपावली
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