भारत का संविधान

"हम भारतवासी,गंभीरतापूर्वक यह निश्चय करके कि भारत को सार्वभौमिक,लोकतांत्रिक गणतंत्र बनाना है तथा अपने नागरिकों के लिए------- न्याय--सामाजिक,आर्थिक,तथा राजनैतिक ; स्वतन्त्रता--विचार,अभिव्यक्ति,विश्वास,आस्था,पूजा पद्दति अपनाने की; समानता--स्थिति व अवसर की व इसको सबमें बढ़ाने की; बंधुत्व--व्यक्ति की गरिमा एवं देश की एकता का आश्वासन देने वाला ; सुरक्षित करने के उद्देश्य से आज २६ नवम्बर १९४९ को संविधान-सभा में,इस संविधान को अंगीकृत ,पारित तथा स्वयम को प्रदत्त करते हैं ।"

Visitors

शुक्रवार, 31 अक्टूबर 2008

aam aadmee !!

एक आम आदमी का हर रास्ता बहुत लंबा होता है..चाहे वो कहीं का भी क्यों ना हो... इतिहास तो बड़ों का होता है...आम आदमी को तो बस उसमें मरने वाले की भूमिका निभानी होती है...कहीं एक सिपाही के रूप में तो कहीं बलात्कृत होती स्त्री के रूप में...या देश की सीमा की रक्षा प्रहरी के रूप में.....एक आम आदमी का हर जगह और हमेशा मौत ही इंतज़ार कर रही होती है .........
गुरुवार, 30 अक्टूबर 2008

गुस्सा तो बहुत आता है....!!

गुस्सा दबा रह जाता है...!! गुस्सा तो बहुत आता है...... जाने कब मैं इन ......... इन कमीनों को मार बैठूं ......... गुस्सा दबा रह जाता है !! गुस्सा बहुत आता है....... की इनको नंगा करके ......... गधे की पीठ पर दौडाऊं.......... गुस्सा दबा रह जाता है !! गुस्सा तो बहुत आता है..... इनका मुंह काला करवाकर... इनके मुंह पर थूक्वाऊँ .......... गुस्सा दबा रह जाता है...!! गुस्सा बहुत आता है..... समूची जनता से इन्हें... लात-घूँसे बरसवाऊं ..... गुस्सा दबा ही रह जाता है...!! इस देश का कुछ भी नहीं बन सकता... ....मैं अभी ............ कुर्बानी...
मुश्किलें जिनके साथ जीने में हैं !! मुश्किलें उनके साथ जीने में है , जिनके हाथ इतने मजबूत हैं कि- तोड़ सकते हैं किसी की भी गर्दन ! मुश्किलें उनके साथ जीने में है, जो कर रहे हैं हर वक्त- किसी ना किसी का या..... हर किसी का जीना हराम ! मुश्किलें उनके साथ जीने में है ..... जिनके लिए जीवन एक खेल है , और किसी को भी मार डालना - उनके खेल का एक अटूट हिस्सा ! मुश्किलें उनके साथ जीने में है ........ जो कुछ नहीं समझते देश को...... और देश का संविधान...... उनके पैरों की जूतियाँ !! मुश्किलें उनके साथ जीने में है ..... जो सब कुछ इस...
बुधवार, 29 अक्टूबर 2008

सबको गाफिल प्यार करें !!

सबको हो मंगलमय दीपावली सब बातें करे अब भली-भली !! सब काम आयें अब सबके सबमें हो इक जिन्दादिली !! सब एक दुसरे को थाम लें सबमे भर जाए दरियादिली !! हर आदमी में कुछ ख़ास हो हर आदमी में इक खलबली !! हर आदमी को खुशियाँ मिले और गम को मारे आकर खली !! आज गम और कल है ख़ुशी ये जिंदगी बड़ी है चुलबुली !! आओ प्यार कर लें "गाफिल" फिर जिन्दगी जायेगी चली ...
मंगलवार, 28 अक्टूबर 2008

दीवाली....ये क्या करें...!!

Tuesday, October 28, 2008 दीवाली .....ये क्या करें ?? .................दीवाली की रात बीत चली है ....दिल का उचाटपन बढ़ता ही चला जा रहा है .....सबको दीवाली की शुभकामनाएं देना चाहता हूँ....मगर वे जिनकी सामर्थ्य नहीं दीवाली मनाने की.....जो आज भी भूखे पेट बैठे ताक़ रहे हैं टुकुर-टुकुर महलों की तरफ़....वे जो बाढ़ के बाद जगह-जगह कैम्पों में अपने सूनेपन को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं......वे जिनके रिश्तेदार देश की सीमा की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए हैं .....बच्चों के छोड गए पटाखों को चुन रहे सड़कों पर कुछ काले-कलूटे...
सोमवार, 27 अक्टूबर 2008

रात को कोई रोया था !!

रात को कोई रोया था !! रात आँख खुल गयी एक सपने ने छुआ था ! आँख बड़ी नम थी, शायद रात को मैं रोया था !! आज वो खिल-खिल उठा बीज जो मैंने बोया था !! देर तक सोता ही रहा बड़े ही दिनों से सोया था!! आज वो बिखर ही गया ख्वाब जो मैंने संजोया था ! मुझसे प्यार मांगता था खुदा रु-ब-रु रोया था !! था वो जनाजे में शामिल जिसने मुझे डुबोया था !! वो मेरे नजदीक था, पर करवट बदल कर सोया था ! उसके आंसुओं से "गाफिल" अपना जिस्म भिंगोया था ...
शुक्रवार, 24 अक्टूबर 2008

गज़लों जैसा कुछ-कुछ ..."गाफिल"

गज़लों जैसा कुछ-कुछ ......"गाफिल " एक बात बताता हूँ तू जरा ध्यान से सुन , मैंने बनाई प्यारी-सी खुदा की इक धून !! जिन्दगी को जीने में कुछ एहतराम बरत,तू इसे इक मुफलिस के स्वेटर-सा बून !! जो तुझे मिला है मिला वो मुझे क्यूँ नहीं,शायद मुझमे नही थे उसे पाने के वो गुण !! इक राह जा रही है हर वक्त खुदा की और,मैं चुनता जाता हूँ हर वक्त उसी की धूल !! ये जो टूटे हुए कुछ ख्वाब बिखरे हुए हैं , मैं इधर चुनता हूँ "गाफिल",तू उधर चुन !! ********************************* दरख्त की है प्यारे प्यास है कितनी , रहती है उसमे शायद चिडिया...
गुरुवार, 23 अक्टूबर 2008

जीवन क्या है...चरता-फिरता एक खिलौना !!

""चीजें अपनी गति से चलती ही रहती है ...कोई आता है ...कोई जाता है ....कोई हैरान है ...कोई परेशां है.....कोई प्रतीक्षारत है...कोई भिक्षारत है...कोई कर्मरत है....कोई युद्दरत....कोई क्या कर रहा है ...कोई क्या....जिन्दगी चलती रही है ...जिन्दगी चलती ही रहेगी....कोई आयेगा...कोई जाएगा....!!!!""............जिन्दगी के मायने क्या हैं ....जिन्दगी की चाहत क्या है ....??""ये जिन्दगी....ये जिन्दगी.....ये जिन्दगी आज जो तुम्हारी ...बदन की छोटी- बड़ी नसों में मचल रही है...तुम्हारे पैरों से चल रही है .....ये जिन्दगी .....ये जिन्दगी...
बुधवार, 22 अक्टूबर 2008

चाँद की दुनिया में है पहला कदम !!

भारत ने भी अपनी ख़ुद की ताकत से चाँद पर अपने कदम बढ़ा दिए,अगले कुछ ही दिनों में "हम"चाँद पर होंगे !!.....हम कौन ? हम याने भारत !!भारत याने हमारा देश !!हमारा देश माने ....वह जगह जहाँ कि हम रहते हैं....जहाँ की मिटटी का उपजा अन्न हम खाते हैं....जहाँ का दिया हम पहनते हैं.... और संजोग से जिसकी किसी भी उपलब्धि पर हमें एक ख़ास किस्म का गर्व बोध होता है...जिसके खिलाड़ियों के किसी खेल के मैदान में जीतने पर हम खुशियों से उत्त्फुल्ल होने लगते हैं......भारत सिर्फ़ एक शब्द ही नहीं हमारी भावना है.... कुछ क्षेत्रों में पाई सफलताओं...
बुधवार, 22 अक्टूबर 2008

ओ दिल्लीवालों..महाराष्ट्रवालों !!

अरे दिल्ली वालों ...महाराष्ट्र वालों...असम वालों....आओ...आओ...!! ऐसा करो ओ महाराष्ट्र वालों..तुम बिहारियों को मारों....!! ओ दिल्लीवालों तुम किसी और को चुन लो....!! ओ पंजाब वालों...तुम तो बड़े ही हट्टे-कट्टे हो..!! तुम क्यूँ चुप बैठे रहोगे भाई...; तुम भी यु.पी वालों को पीटो ना ...!! अरे भइया ..तुम तो नाराज हो गए हरियाणा वालों....; तुम दिल्ली वालों को ही कूट डालो...; कैसे तुम्हारी छाती पर चढ़े बैठे हैं वर्षों से !! ओ दक्षिणी वालों ..... तुम वां दूर-दूर से क्या ताक़ रहे हो... तुम कश्मीर वालों के साथ ही.... दो-दो हाथ...
मंगलवार, 21 अक्टूबर 2008

फिर भी सबको जीना है !!

मैंने जो जिन्दगी को देखा है...जब सपने तार-तार हो जाते हैं...जब आंखों को अंधेरे के सिवा कुछ नहीं दिखाई देता....जब तन और मन सबसे आदमी घायल हो जाता है...जब कहीं से कोई आसरा नहीं होता....जब एक भी शब्द कहने को नहीं होता.....जब कुछ भी ऐसा नहीं होता जिसके आसरे पर हम जी सकें...तब भी समूचा -सा रोना नहीं होता..... मतलब आशा की कोई एक किरण की आशा कहीं-न-कहीं मन के किसी कोने में छिपी ही होती है....वही हमको एकदम से टूटने से बचाती है....वही हमें चिंदी-चिंदी होने से बचाती है !! सपने जब एकदम से मर जाते हैं...या जब उन्हें...
सोमवार, 20 अक्टूबर 2008

जब चलते -चलते रस्ते में !!

चलते चलते रस्ते में कई दोस्त नए मिल जाते हैं कई जन्मों के ज्यूँ साथी हों ,यु हँसते व् बतियाते हैं !! चुपके -चुपके महफ़िल में वो हमको देखा करते हैं पर बात हमारी आती है तो लब से लब सिल जाते हैं !! हिज्र के मौसम में अक्सर दिल को गहराई मिलती है इस मौसम में अक्सर कुछ गम के गुल खिल जाते हैं !! अजब-सी तमाशा-सी दुनिया है,गरीबों का सहारा कोई नहीं सड़कों पे देख के लौंडों को माथे पे बल पड़ जाते हैं !! किसी से कोई राम-राम नहीं,कहीं कोई भी दुआ-सलाम नहीं कौन स्कूलों में पढ़ते ...
रविवार, 19 अक्टूबर 2008

हम भी कुछ कर लें !!

जिन्दगी इस कदर पुर सुकून सा जिए , ये हिसाब मौत से ज्यादा का कर लें !! आग बरसेगी आसमान से आज आ तेरे आँचल का छाता कर लें !! जहाँ प्यार से कम कुछ भी ना मिले इक मुहब्बत से भरा हाता कर लें !! भले ही उसमें किसी की चिट्ठी ना हो , अपने संग हम भी इक लिफाफा कर लें !! ऐ मौत इक ज़रा बाहर को ही ठहर ना , हम अपने आप को जरा सरापा कर लें !! गाफिल किसी मुर्गे का नाम नहीं मियां , कि चट काटा और पट मुहँ में धर लें ...
रविवार, 19 अक्टूबर 2008

बीती बात को जाने दे !!

Sunday, October 19, 2008 बीती बात को जाने दे !! बीती बात को जाने दे नए समय को आने दे ! समय बड़ा नादाँ है बच्चों-सा समझाने दे ! यार अब कैसा है तू उसको भी बतलाने दे ! बड़ा ही अच्छा लगता है बुरे समय को आने दे ! कन्नी काट ना मुझसे तू मुझसे ना कतराने दे ! इतना बुरा नहीं "गाफिल" ख़ुद को पास तो आने दे...
शुक्रिया दोस्तों !! भूतों को नींद तो आती नहीं है ;सो यूँ ही ऊंघ रहा था तो किसी भूत ने बताया कि यार रात को जो जो तुम ऊट-पटांग बडबडा रहे थे उसकी कुछ तारीफ़ वगैरह हुई है भूतों की क्या तो तारीफ़ और क्या तो निंदा !!फिर भी मन में आया कि अगर ऐसा है तो अपन भी पलटवार कर ही देते हैं!!तो दोस्तों आप सबों को इस भूत का तहेदिल से धन्यवाद् ,बाकी मै दिन में तो निकलता नहीं ,बस अभी आपका शुक्रिया अदा करने आ गया ,आपसे बात करने तो रात को ही आऊंगा तब तक नॉन कमर्शियल ब्रेक ,आपको दिन में परेशां करने का मुझे बड़ा अफ़सोस है, अच्छा फिर रात में...
रविवार, 19 अक्टूबर 2008

हट लाईट चली गयी !!

मैं भूत बोल रहा हूँ मैं भूत बोल रहा हूँ मेरे प्यारे जीते - जागते दोस्तों! मैं किसी और दुनिया से एक ताज़ा ताज़ा मारा इंसान बोल रहा हूँ! आपकी इस धरती पर गुज़र कर थोड़े ही दिन पहले इस अजीबोगरीब भूतों की दुनिया में आया हूँ! सच जानिए की बड़ा सुकून मिला है मुझे यहाँ आकर! धरती की जिंदगी की कोई आपाधापी नहीं ! बस चैन ही चैन ; आराम ही आराम ! कोई भाव, उत्तेजना, प्रेम, क्रोध, काम, ममता, जान -पहचान, परिचित आदि कुछ भी नहीं ! हम सारे भूत बस इधर से उधर तैरते रहते है और हाँ जैसा की आप सब सोचते और बोलतें है, हम किसी को भी बे- वज़ह...
रविवार, 19 अक्टूबर 2008

सच्ची,मैं भूत बोल रहा हूँ !!

मेरी गुजरी हुई जिन्दगी के प्यारे-प्यारे दोस्तों,अब बड़ा प्यार उमड़ता है आपलोगों के ऊपर!!जबकि जब तक मैं जिन्दा था,आपसबों से झगड़ता ही रहता था!!मैं और मेरे जैसे अनेक लोग अक्सर ऐसी-ऐसी बातों पर झगड़ते थे कि आज जब मई उन बातों को सोचता हूँ,तो ख़ुद पर बड़ा आश्चर्य होता है,कि उफ़ हाय मैं ऐसा था?यदि मैं ऐसा था तो जीते-जी मुझे इस बात कि अक्ल क्यूँ नहीं आई ,आदमी होते हुए मुझमें आदमियों जैसा विवेक क्यों नहीं जागृत हुआ?मै मूर्खों कि तरह क्यूँ सबसे व्यवहार करता रहा?यदि मुझमे इतनी ही अक्ल थी ,तो मैंने अगली बार अपनी गलतियों को क्यूँ...
शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2008

तुम सिर्फ़ इक अहसास हो !!

तुम सिर्फ़ एक अहसास हो ........ अगर तुम्हें पाना इक ख्वाब है !! तुम्हारी चूडियों की खनक , अगर मेरी जंजीरें हैं...., तो भी उन्हें तोड़ना फिजूल है !! अहसास का तो कोई अंत नहीं होता , अगरचे ख्वाहिशों का , कोई ओर-छोर नहीं होता !! मौसम के बगैर बारिश का होना , ज्यादातर तो इक कल्पना ही होती है , कल्पनाओं का भी तो कोई ओर-छोर नहीं होता, और तुम ...तुम तो खैर सिर्फ़ एक अहसास हो !! तुम हवाओं की हर रहगुजर में हो .... तुम हर फूल की बेशाख्ता महक-सी हो .... साथ ही किसी चिंगारी की अजीब-सी दहक भी.... तुम ख्यालों का पुरा जंगल हो... और...
शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2008

आदमी चाहता क्या है

ऐ भाई मुझसे पूछ ना आदमी चाहता क्या है.....आदमी तो सिर्फ़-व्-सिर्फ़ मस्ती और भोग चाहता है....बदकिस्मती से उसे धरती पर कर्म ही करने पड़ते हैं,कर्म करना ही तो दुःख हैं !! जो चाँदी की चम्मच मुंह में लेकर आते है वो कहाँ कर्म करते हैं,उन्हें भोग से फुर्सत ही कहाँ!!ऐसे लोगों को देखना भी तो दुःख का ही एक दूसरा रूप है..और तुझे क्या-क्या बताऊँ ...
एक संवाद,,,,,,एक भाई के साथ,,,,!! भाई भूतनाथ पुरूषों के बारे में आपकी राय जानकर, आपकी बुद्धि पर तरस आती है. आप किस ज़माने के मर्दों की बात कर रहें है. भाई साहब ये पी-४ युग है. जहाँ अब लड़कों-लड़कियों में बहुत जयादा अन्तर नहीं है. कुछ फिजिकल अन्तर ही रह गया है. आप जिन पुरूषों की बात कर रहें है, हो सकता है आप भी उनमे शामिल होंगे. तभी तो नाम बदल कर अपनी बात रख रहें. पहचान छुपकर कुछ भी कहना आसान होता है. पर ये एक कमजोरी...
sunil choudhary said... भाई भूतनाथ पुरूषों के बारे में आपकी राय जानकर, आपकी बुद्धि पर तरस आती है. आप किस ज़माने के मर्दों की बात कर रहें है. भाई साहब ये पी-४ युग है. जहाँ अब लड़कों-लड़कियों में बहुत जयादा अन्तर नहीं है. कुछ फिजिकल अन्तर ही रह गया है. आप जिन पुरूषों की बात कर रहें है, हो सकता है आप भी उनमे शामिल होंगे. तभी तो नाम बदल कर अपनी बात रख रहें. पहचान छुपकर कुछ भी कहना आसान होता है. पर ये एक कमजोरी को भी दर्शाता...
bhoothnath said... बहुत से लोगों का यह सोचना है कि लड़कों के लिए भी तो यह शर्त होती है कि इतनी पगार वाला ........आदि-आदि,तो लडकी के लिए भी ..............!! मगर ये तो मानना ही होगा कि सदियों से हमने लड़कियों और लड़कों के लिए अलग-अलग मापदंड तय किए हुए है !जहाँ लड़कों को पूरी आज़ादी और लड़कियों का पुरा दमन किया जाता है ! वैवाहिक जीवन के सन्दर्भ में तौलें तो क्या जो छुट आदमी अपने लिए बिना अपनी पत्नी से पूछे ही ले लेता है,वो...
bhoothnath said... मोनिका जी ,औरतों की बराबरी की बात करना और बात है...उसे अपनी जिंदगी के व्यवहार में शामिल करना और बात ....हममे से किसी की भी बहन राह में किसी से बातें करती नज़र आ जाए... हमारी असलियत तुरत बाहर आ जाती है ...हममे से किसी की बीवी ऊंचे स्वर में आवाज़ निकाले हमारा पौरूष जैसे जाग जाता है.. लेखकों की बातों का भरोसा क्या... किसी के भी घर में झांकिए ...वही सब कुछ है.. कहीं दबा- ढंका. कहीं उघाडा - नंगा.... सच सिर्फ़-व्-सिर्फ़...
Sunday, August 3, 2008 मैं भूत बोल रहा हूँ !!मेरी पूर्व की दुनिया के भाइयों और बहानों ,जिन दिनों मै आपकी दुनिया में रहता था ,उससे कुछ समय पूर्व चाचा ग़ालिब यह कह कर गए थे कि न था कुछ तो खुदा था ,कुछ न होता तो खुदा होता ;डुबोया मुझको होने ने ,न होता मै तो क्या होता !!........ अपने आखरी वक्त तक मैं भी यही सोचता हुआ मरा कि धरती पर रहते हुए भी मैंने ऐसा क्या कबाड़ लिया ,इससे तो बेहतर तो यही होता कि मैं हुआ ही न...
नेता एकम नेता, नेता दुनी... पता नहीं कब और किसका लिखा यह पहाडा बचपन में ही पढ़ा था ,ऐसा दिल में घुसा कि आज तक याद है,आपको बता रहा हूँ गौर करें.... नेता एकम नेता ! नेता दुनी दगाबाज ! नेता तिया तिकडमबाज ! नेता चौके चार सौ बीस ! नेता पंजे पुलिस दलाल ! नेता छक्के छक्का-हिन्जडा ! नेता सत्ते सत्ता-धारी ! नेता अट्ठे अड़िंगाबाज ! नेता नम्मे नमक-हराम ! नेता दस्से सत्यानाश !! इस अनाम कवि को मैं बचपन से ही सलाम करता...
Sunday, September 7, 2008 मैं भूत बोल रहा हूँ !! कई दिनों से बिहार के ऊपर उड़ रहा हूँ !बहुत सारे लोगों की तरह मैं भी यही सोच रहा हूँ कि क्या किया जाए , मगर जैसे कि कुछ भी करने का कोई बहाना नहीं होता,वैसे ही कुछ न करने के सौ बहाने होते हैं !सो जैसे धरती के लोग जैसे अपने घर के दडबों में कैद हैं,वैसे ही मैं भी बेशक खुले आसमान में तैर रहा हूँ ,मगर हूँ एक तरह से दड्बो में ही ....!चारों और जो मंज़र देख रहा हूँ...
शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2008

"सेल !!" (लघुकथा) __भूतनाथ

"सेल !!" (लघुकथा) __भूतनाथ "ऐ आशा,चल न,चिंकारा मॉल में सेल लगी हुई है,सभी चीजों पर फिफ्टी परसेंट की छूट है !"लता ने अपनी सहेली से कहा । "हाँ-हाँ,मैं भी यही सोच रही थी,अभी मैं तुझे फोन करने ही वाली थी,अच्छा हुआ कि तू ख़ुद ही आ गई ,अरे ये एन नाइंटी फाइव कब लिया तूने ?ये तो थ्री जी है ना ?कितना क्यूट है ?कितने का पड़ा ?" "कितने का तो पता नहीं,कल ये बॉम्बे से आयें है वही लाये है,अपने लिए भी उन्होंने एप्पल...
ये जो हो रहा है !! जो हो रहा है उसे समझ,ख़ुद को समझाने दे ,चुप मत बैठ आदम ,दिल को तिलमिलाने दे!!अपने या घर-दूकान के भीतर घुसा मत रहा,बाहर निकल,ताज़ी हवा को भी पास आने दे!!कोई भी किसी को जीने क्यूँ नहीं दे रहा ,ख़ुद को कभी उनसे ये बात कर के आने दे !!तेरे कूच करने से ही बदल पाएगी ये फिजां ,तू अपनी मुहब्बत से जरा इसे बदलवाने दे !!जन्नत एक तिलिस्म नहीं है मेरे भाई,सच,मेरे साथ चल,प्रेम के गली में हो के आने दे !!तू अपनी सोच में अच्छा हो के बैठा मत रह,तू अपने अच्छे कर्मों को यां खिलखिलाने दे !!तेरे रहते ही कुछ अच्छा हो,तो...
आ ना कुछ करके दिखाते हैं !! आ चल तुझे इक खेल खिलाते हैं,चल ज़रा चाँद को ही छु आते हैं !!आ ना खुशियाँ बटोर कर लाते हैं,कुछ देर जरा बच्चों को खिलाते हैं !!हर रोज़ अच्छाई की कसम खाते हैं,रोज़ कसम तोड़कर सो जाते हैं!!खुदा को तो जरा भी नहीं जानते हैं,और मस्जिद में नमाज़ पढ़ आते हैं !!असल में कुछ दिखाई तो देता नहीं,लोग सपनों की महफ़िल सजाते हैं!!ख़ुद तो खुदा से किनाराकशी करते हैं,बच्चों को उसकी कसम खिलाते हैं!!इक दिन मुझे...
शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2008

झारखण्ड की जनता के नाम !!

प्रस्तुतकर्ता नदीम अख़्तर पर 4:50 PM 2 टिप्पणियाँ Sunday, September 21, 2008 भाइयों और बहनों,आप सबों को साधू भौरा का प्रेम भरा नमस्कार,दोस्तों देखता हूँ कि इन दिनों स्थानीय अखबारों में बार-बार मेरे किसी पंजैय पोदरी से से सम्बन्ध होने की बातें उछाली जा रही हैं,बिना किसी अकाट्य सबूत के किसी का चीरहरण करना सरासर ग़लत तो है ही,हमारी मानहानि भी है,इसलिए इसे अविलम्ब बंद किया जाए!दोस्तों मैं वर्षों...
शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2008

बडिए कमा लिए हो भइया !!

बडिए कमा लिए हो भइया !! बडिए कमा लिए हो भइया !!कहाँ से कमाए हो भइया ?? जनता से ना ...!!तनी सुन जनतवा को लौटा भी दो भइया !! जनतवा से तनी-तनी सुन करके ना लिए हो भइया ?? तनिये-तनी लौटाने को कह रहे हैं हम तुमको भइया !! का कहा ..?अपनी मेहनत से ई सब कमाए हो भइया !! तो इतना घमंड कौन बात का कर रहे हो भैया !! एतना गुस्सा कऊन बात का करते हो बड़के भैया ?? पईसा तो नहीं रहने का,इतना भी मत ..... भइया !! तुम अपना सामान किसको बेचे थे,जनता...
ऐसे लोगों को हमारा सलाम !! सवेरे-सवेरे ही देखा कि बिहार के बाड़ पीड़ित इलाके में काम कर रहे डॉक्टरों की टीम में से एक डाक्टर की मौत अचानक ही हो गयी,मगर उन विपरीत परिस्थितियों में भी बचे डाक्टरों ने वहां से वापस आने बजाय अब वहीं रहकर काम करने का फैसला किया है,यही उनके अनुसार मृतक डाक्टर को उनकी भावभीनी श्रद्दांजलि होगी !! यह पढ़ते ही आँखें नम हों आयीं, और मन-ही-मन में उनको सैल्यूट को हाथ जैसे माथे पर जा लगे !!आज,जबकि हर ओर...
मेरी चीज़ें !! मेरे पास ढेर सारी चीज़ें थीं - मैं उन्हें काफी दिनों तक सहेजता रहा , मगर - अंततः उनमें से एक भी चीज़ न बची !! और - मैं बिल्कुल अकेला रह गया !! तब मैंने जाना कि चीज़ें , कभी सहारा नहीं बनती ,आदमी का , यहाँ तक कि साया भी नहीं !! अंततः आप भी नहीं बचते ,चीज़ों की तरह !! फिर, एक दिन अचानक - वे सारी चीजें - मेरे पास वापस आ गयीं , और मैनें उन्हें - समस्त पृथ्वी-वासियों में बाँट दिया - मगर तब भी - मेरे पास कुछ चीज़ें बच ही रहीं !! तब मैनें उन्हें - अन्तरिक्ष-वासियों को दे डाला !! सबने मुझे धन्यवाद दिया, और मैनें...
शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2008

तमसो माँ ज्योतिर्गमय......अल्लाह हो बुद्दिर्गमय .....!!

  तमसो माँ ज्योतिर्गमय तमसो माँ ज्योतिर्गमय......अल्लाह हो बुद्दिर्गमय .....अक्सर ही एक साथ आते है दो कौमों के विशेष पर्व ....क्या संदेश है इसका ? किसी के अल्लाह और किसी के भगवान् अगर एक ही साथ आ रहे हैं तो जरूर इसका कोई फलसफा होगा !क्या इसे हम समझ सकते हैं ?........... या कि बम धमाकों ने अनेकानेक प्राणों के साथ हमारी बुद्दि भी हर ली होती है !!.....दिखायी तो इनमे से कोई भी नहीं देता..... लेकिन अनदेखी और अनचीन्ही अजीबोगरीब भावनाओं की रौ में बहे जाते हम शायद खाभी भी अपने आप नहीं जीते !... बल्कि ना...
शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2008

ख्वाजा मेरे ख्वाजा...दिल में समां जा !!

ख्वाजा मेरे ख्वाजा...दिल में समां जा !! ख्वाजा मेरे ख्वाजा ....दिल में समां जा ......श्याम की राधा....अली का दुलारा...ख्वाजा मेरे ख्वाजा !!.....एक धुन सी हर वक्त दिल में मचलती रहती है...हर किसी के प्रति प्यार में पगा ये दिल किसी-न-किसी को अपने पास ही नफरत के शोलों से भड़कता देखकर दिन-रात परेशान होता रहता है!! सबको इस जीवन में इंसानों के बीच ही रहना है,और वो भी अपने आस-पड़ोस के लोगों के बीच ही......मगर सबके-सब एक अनदेखे-अनजाने खुदा... भगवान...गाड...आदि के पीछे ऐसे बावले....उतावले हुए रहते हैं कि मारकाट तक पर उतारूं...
शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2008

कुछ ना कुछ करते रहिये !!

Wednesday, October 15, 2008 कुछ ना कुछ करते रहिये !! कुछ न कुछ करते रहिये यां जमे रहने के लिए , इस जद्दोजहद में ख़ुद के ठने रहने के लिए !! यहाँ कोई ना लेगा भाई आपको हाथो-हाथ , बहुत जर्फ़ चाहिए आपके खरे रहने के लिए !! इन्किलाब न कीजै रहिये मगर आदमी से , रूह का होना जरुरी है अपने रहने के लिए !! सब मुन्तजिर हैं कि मिरे लब खुले कब , कुछ बात तो हो मगर मेरे कहने के लिए !! इस दुनिया से इन्किलाब की उम्मीद न करो, मर रहे सब लोग यां अपने जीने के लिए !! हम झगडों के कायल हैं ना अमन के खिलाफ, कुछ आसमां हो कबूतरों के उड़ने के...
Pages (26)1234567 Next
 
© Copyright 2010-2011 बात पुरानी है !! All Rights Reserved.
Template Design by Sakshatkar.com | Published by Sakshatkartv.com | Powered by Sakshatkar.com.