जो तुम पढ़ते हो मेरे चहरे पर...
कोशिश बहुत करता हूँ छुपाने की !!
हरदम हंसता रहता हूँ ना मैं...
तो कोशिश करो मुझे रुलाने की..!!
जिन्दगी तो हर किसी की गोया..
ख्वाब हो इक पागल दीवाने की !!
चेहरे की लकीरें उसकी हैं ऐसी...
छिपने की और ना छिपाने की !!
जिन्दगी जीने की खातिर भईया
जरुरत है किसी नए बहाने की !!
ख्वाब-ख्वाब..ख़याल-ख़याल...बस
हयात है महज इक अफ़साने सी !!
अब तो जरुरत है भाई "गाफिल"
तुझको भी यहाँ से भाग जाने की !!
1 टिप्पणी:
हरदम हंसता रहता हूँ ना मैं...
तो कोशिश करो मुझे रुलाने की..!
क्या बात है ये बड़ी मुसीबत वाली बात है सर जी हमारे बसकी नहीं फिर भी कोशिश करेंगे :):):)
सुन्दर अभिव्यक्ति..........उम्दा रचना है
मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है आने के लिए
आप
๑۩۞۩๑वन्दना
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आभार...अक्षय-मन
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