bhoothnath said...
हा-हा-हा-हा-हा-हा-हा-.................मैं भूत बोल रहा हूँ........!!मुझे नहीं जानते..........??अरे दुष्ट...........हमेशा खुश-सी रहने वाली इस आत्मा को तुम नहीं जानते.....?? हमसे दूर हो जाने वाले ओ प्यारे से शख्स...........हमने कभी अपनी यादें नहीं बिसराई..........ब्लॉग नहीं देखता था...तब भी तुम याद थे....मैंने अपनी खुशनुमा पलों को बार-बार-बार-बार जिया है....इस बहाने अपने अतीत को फ़िर से पिया है.....मेरे अतीत में तुम भी अब तक हँसते-बोलते बैठे हुए हो....अपनी जिन्दगी में इतने सारे लोगों को आते-जाते देखा..........की जिन्दगी नई और पुरानी एक साथ ही लगी........भूतनाथ बनकर मैं इसे दगा देने की फिराक में हूँ.....मौत आएगी तो मैं मिलुगा नहीं....और भूत की मौत तो होनी ही नहीं.....हा..हा..हा..हा..भाई अमिताभ प्यारी यादें एक तिलिस्म होती हैं....इसमें घुसकर कोई बाहर निकलना नहीं चाहता....मैं तो एक साथ ही अतीत और वर्तमान बनकर रहता हूँ.....मजा आता है....मैं दूसरों की भी यादें जगाना रहता हूँ....और भी बहुत कुछ....मगर इक-इक कर के.....मगर नाम तो मैं अपना नहीं बताउंगा मैं....कभी नहीं....वो तो तुम्हे ही याद करना होगा...कि कौन है जो ऐसा था.....आज भी ऐसा ही है...बस थोड़ा-सा बदल कर.......यु विल बी "चकित"...........आज बस इतना ही.....और हाँ कविता का जवाब मैं कविता से ही देता रहा हूँ....आज तुन्हें बख्श दिया.....हा.....हा...हा..हा..हा...हा...!!अब सोचते रहो कि क्या बला हूँ मैं.....!!??जल्द ही बताऊंगा दोस्तों.......!!!!!
हा-हा-हा-हा-हा-हा-हा-.................मैं भूत बोल रहा हूँ........!!मुझे नहीं जानते..........??अरे दुष्ट...........हमेशा खुश-सी रहने वाली इस आत्मा को तुम नहीं जानते.....?? हमसे दूर हो जाने वाले ओ प्यारे से शख्स...........हमने कभी अपनी यादें नहीं बिसराई..........ब्लॉग नहीं देखता था...तब भी तुम याद थे....मैंने अपनी खुशनुमा पलों को बार-बार-बार-बार जिया है....इस बहाने अपने अतीत को फ़िर से पिया है.....मेरे अतीत में तुम भी अब तक हँसते-बोलते बैठे हुए हो....अपनी जिन्दगी में इतने सारे लोगों को आते-जाते देखा..........की जिन्दगी नई और पुरानी एक साथ ही लगी........भूतनाथ बनकर मैं इसे दगा देने की फिराक में हूँ.....मौत आएगी तो मैं मिलुगा नहीं....और भूत की मौत तो होनी ही नहीं.....हा..हा..हा..हा..भाई अमिताभ प्यारी यादें एक तिलिस्म होती हैं....इसमें घुसकर कोई बाहर निकलना नहीं चाहता....मैं तो एक साथ ही अतीत और वर्तमान बनकर रहता हूँ.....मजा आता है....मैं दूसरों की भी यादें जगाना रहता हूँ....और भी बहुत कुछ....मगर इक-इक कर के.....मगर नाम तो मैं अपना नहीं बताउंगा मैं....कभी नहीं....वो तो तुम्हे ही याद करना होगा...कि कौन है जो ऐसा था.....आज भी ऐसा ही है...बस थोड़ा-सा बदल कर.......यु विल बी "चकित"...........आज बस इतना ही.....और हाँ कविता का जवाब मैं कविता से ही देता रहा हूँ....आज तुन्हें बख्श दिया.....हा.....हा...हा..हा..हा...हा...!!अब सोचते रहो कि क्या बला हूँ मैं.....!!??जल्द ही बताऊंगा दोस्तों.......!!!!!
7 टिप्पणियां:
बहुत बढ़िया भूतनाथ जी हा हा हा
बहोत खूब लिखा है आपने .....
अपनी जिन्दगी में इतने सारे लोगों को आते-जाते देखा..........की जिन्दगी नई और पुरानी एक साथ ही लगी........भूतनाथ बनकर मैं इसे दगा देने की फिराक में हूँ.....
' hmmmmmm irade to naik hain,,,dekhen kamyab hote ho ya nahi'
regards
वैसे जी हम भूत से बहुत डरते है जी, पर ना जाने क्यों इस भूतनाथ जी हम डरते नही।
बहुत खूब लिखा।
भूत और भूत नाथ जी दोनों को नमस्कार ...खूब लिखा है भाई...
नीरज
pichle post mein dara diya tha..pehli baar dekha hai bhoot ke jaane se darr lag raha hai bhoot ke aane se nahi :)
मिर्ज़ा गालिब को उनके 212वीं जयंती पर बधायी दे:
http://pyasasajal.blogspot.com/2008/12/blog-post_27.html
क्या कहें? आजकल तो भूत भी विशुद्ध नहीं रहे।
घुघूती बासूती
एक टिप्पणी भेजें