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अब भूत नहीं हूँ मैं.....!!इक तलाश हूँ मैं.....!!कोई आस हूँ मैं....!!इक अधूरी प्यास हूँ मैं.....तुम्हारे आस-पास हूँ मैं....अगर आदमी हो तुम....तुम्हारा रहनुमा हूँ....गर नहीं तो तुम्हारी लाश हूँ मैं....!!अब भूत नहीं हूँ मैं...राजीव थेपड़ा में छिपी हुई कोई बात हूँ मैं....!!
रविवार, 24 अक्टूबर 2010
मैं भूत...................नहीं..............बोल रहा हूँ..........!!!!
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1 टिप्पणी:
अगर आदमी हो तुम....तुम्हारा रहनुमा हूँ....गर नहीं तो तुम्हारी लाश हूँ मैं...
बहुत ही चुभता हुआ सच... सुन्दर रचना
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