तुझमें छिपा ऐसा दर्द क्या है !!
मेरे अरमानों को भी ले ले तू
इतना रोता है बेसबब क्या है !!
इस उदासी का सबब क्या है......
तेरे सारे आंसू पोंछ डालूँ मैं
कुछ तो बोल,इत्ता चुप क्या है !!
इस उदासी का सबब क्या है......
तेरी सूरत नज़र से हटती नहीं
बाहर आ तू,मुझमें छिपा क्या है !!
इस उदासी का सबब क्या है......
तेरे रु-ब-रु बैठ,तुझे देख रहा हूँ
मेरे भीतर तेरा ऐसा कुछ क्या है
इस उदासी का सबब क्या है......!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें