मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
उम्र भर लिखते रहे,हर्फ़-हर्फ़ बिखरते रहे
बस तुझे देखा किये,आँख-आँख तकते रहे....!!
उम्र भर लिखते रहे.....
कब किसे ने हमें कोई भी दिलासा दिया
खुद अपने-आप से हम यूँ ही लिपटते रहे....!!
उम्र भर लिखते रहे.......
आस हमारे आस-पास आते-आते रह गयी..
हम चरागों की तरह जलते-बुझते रह गए.....!!
उम्र भर लिखते रहे.....
हम रहे क्यूँ भला इतने ज्यादा पाक-साफ़
लोग हमें पागल और क्या-क्या समझते रहे...!!
उम्र भर लिखते रहे....
आज खुद से पूछते हैं,जिन्दगी-भर क्या किये
पागलों की तरह ताउम्र उल्टा-सीधा बकते रहे....!!
उम्र भर लिखते रहे....!!!!
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उम्र भर लिखते रहे..................
गुरुवार, 8 जुलाई 2010
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4 टिप्पणियां:
blog ka template accha lga....or
उम्र भर लिखते रहे,हर्फ़-हर्फ़ बिखरते रहे
बस तुझे देखा किये,आँख-आँख तकते रहे....!!
उम्र भर लिखते रहे.....
ye panktiyan khas kar se acchi lgi
regards
हम रहे क्यूँ भला इतने ज्यादा पाक-साफ़
लोग हमें पागल और क्या-क्या समझते रहे...!!
सीधे और सादे व्यक्ति को लोग यूँ ही .....समझते हैं मगर ऐसे तो उस प्रभु के ज्यादा पास होते हैं....
आप का 'हिन्दी हाइकु' बलॉग पर आने का शुक्रिया ...
आप के हाइकु का इन्तजार रहेगा ।
http://hindihaiku.wordpress.com
हरदीप
भूतनाथ जी!...आपने तो अपनी व्यथा कागज पर उतारी है...मार्मिक रचना!... धन्यवाद!
Kya likhu bas likhta hoon bahut badhiya likha hai apne...jyda likhunga to me bhi paglo me samil ho jaunga sir..............:)
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